अखंड प्रताप सिंह/कानपुर: अब देश में व्हाइट शुगर के साथ ही कई प्रकार की और शुगर तैयार की जा रही है. जिसमें रिफाइंड शुगर शामिल है, इसके साथ ही विशिष्ट चीनी उत्पादन भी तैयार किया जा रहे हैं. देश की चीनी मिल अब शक्कर बनाने के साथ कई बाय प्रोडक्ट भी बना रही है लेकिन सबसे बड़ी समस्या कुशल कारीगरों और उद्योग को समझने वालों की होती है. अब इंडस्ट्री के लिए उपयुक्त कारीगर नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट तैयार करेगा. इसके लिए यहां पर एक खास कोर्स भी शुरू किया जा रहा है जो मिल को चलाने वाले स्टाफ के लिए भी कारगर होगा.
आपको बता दें कि कानपुर में स्थित नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट देश का इकलौता शुगर इंस्टिट्यूट है जहां पर चीनी उद्योग को लेकर लगातार शोध होते रहते हैं. नई-नई तकनीकियां यहां पर लाई जाती है. इसके साथ ही यहां पर शुगर से जुड़े कोर्स भी कई संचालित हो रहे हैं. वहीं अब एक कम समय का नया कोर्स शुरू किया गया है. जिसको चीनी रिफाइनरी संचालन नाम दिया गया है. यह कोर्स अगले सत्र से शुरू हो रहा है. इस कार्यक्रम में 20 सीट होगी और यह अप्रैल जून के दौरान आयोजित किया जाएगा. क्योंकि इस वक्त ज्यादातर कक्षाएं बंद रहती हैं. ऐसे में इस कोर्स के लिए अलग से स्टाफ और बुनियादी ढांचे की जरूरत नहीं पड़ेगी.
उद्योगों के संचालन में होगी आसानी
नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि अभी तक देश में सिर्फ सफेद चीनी का उत्पादन किया जाता था. लेकिन अब औद्योगिक उपयोगकर्ताओं की आवश्यकता को देखते हुए बेहतर गुणवत्ता वाली चीनी और रिफाइंड शुगर का भी उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन चीनी मिलों में सबसे बड़ी समस्या स्टाफ की रहती है कुशल कारीगरों की रहती है. अब इस समस्या को दूर करने के लिए नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट मिलन में काम कर रहे विज्ञान प्रैक्टिकल भूमि के 12वीं पास व्यक्तियों को उनके ज्ञान को इंडस्ट्री से जोड़कर और कुशल बनने के लिए 3 महीने की अवधि का एक नया पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है.