भारत सरकार की एथेनॉल नीति और बायोफ्यूल नीति का असर अब दिखने लगा है। ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत पेट्रोलियम पदार्थ जिसका उत्पादन हमारे देश में पर्याप्त नही होता है, का भारी मात्रा में विदेशों से आयात किया जाता है। वर्ष 2018 से क्रमशः बायोफ्यूल का उत्पादन देश में बढ़ रहा है। देश की चीनी मिलें चीनी के अतिरिक्त अब एथेनॉल और दूसरे उत्पादनों पर अपनी निर्भरता बढ़ा रही हैं। शुगर टेक्नोलाजिस्ट ऑफ इंडिया (एसटीएआई) के 82वें वार्षिक समारोह, जिसका आयोजन सीतापुर कन्वेंसन सेंटर जयपुर में हुआ था। दो दिवसीय 30 और 31 जुलाई को आयोजित समारोह के दौरान देश के शुगर और अल्कोहल के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक बड़ी संख्या में इस दौरान अपने-अपने सुझाव और विचार रखे थे। एनएसआई की निदेशक डॉ. सीमा परोहा, आईआईएसआर लखनऊ के निदेशक आर विश्वनाथन, वसंत दादा शुगर इंस्टीट्यूट के निदेशक शंभाजी कडू पाटिल तथा पूर्व निदेशक शिवाजी राव देशमुख, एसटीएआई के प्रेसीडेंट संजय अवस्थी तथा शुगर मिलों और विभिन्न शोध संस्थानों के वैज्ञानिक इन दिनों में अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किये। उत्तर प्रदेश की यदु कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक कुणाल यादव, एमआरएन ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर संगमेश निरानी, ‘इंडस्ट्री एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित हुए अजय शर्मा एसटीएआई के 82वें सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में 30 जुलाई को एसटीएआई द्वारा प्रतिष्ठित ‘इंडस्ट्री एक्सीलेंस अवार्ड’ से बजाज हिन्दुस्थान ग्रुप के एमडी अजय शर्मा को सम्मानित किया गया है। शुगर इंडस्ट्री क्षेत्र का यह अत्यंत प्रतिष्ठित अवार्ड है। यह पुरस्कार उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और दृष्टिकोण को मान्यता देता है जिसके तहत उन्होंने बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड को चीनी उद्योग में नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है। उनके नेतृत्व में कंपनी ने लगातार उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की है। बजाज हिन्दुस्थान शुगर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अजय शर्मा को इस प्रतिष्ठित अवार्ड मिलने पर किसानों तथा चीनी मिल के अधिकारियों कर्मचारियों ने उन्हें बधाई दिया है।
बजाज हिंदुस्थान शुगर लिमिटेड के पास देश में चीनी और एथेनॉल के लिए सबसे बड़ी स्थापित उत्पादन क्षमता है। बजाज ग्रुप की 14 चीनी मिलें और 6 डिस्टिलरी है जो सभी उत्तर प्रदेश में स्थित हैं और लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देती हैं। लगभग 500,000 किसान गन्ना आपूर्ति करते हैं। कंपनी की कुल गन्ना पेराई क्षमता 1.36 लाख टन प्रतिदिन और आसवन क्षमता 800 किलोलीटर प्रतिदिन है। बजाज शुगर एथेनॉल का भी अग्रणी निर्माता है जो एक हरित ईंधन है।
साउथ इंडियन शुगर एंड शुगरकेन टेक्नोलॉजिस्ट एसोशिएशन के प्रेसीडेंट एन चित्रप्पन आदि ने भी भाग लेकर अपने सुझाव रखे थे।
कन्वेंसन के दौरान फैक्ट्री प्रोसेसिंग पर 15 रिसर्च पेपर को स्वीकृति प्रदान की गई। शुगर केन एग्रीकल्चर टॉपिक पर 18 शोध पत्र और फैक्ट्री इंजीनियरिंग के लिए 11 शोध पत्र स्वीकृत किये गये। शुगर इंडस्ट्री के को-प्रोडक्ट्स पर आधारित 19 रिसर्च पेपर एक्सेप्ट किये गये। एस.एन गुंडू राव मेमोरियल लेक्चर के अंतर्गत एसटीएम प्रोजेक्ट लि के एमडी जे. जे भगत ने शुगर केन प्रोसेसिंग कान्सेप्ट एंड मिथ्स टॉपिक पर लेक्चर दिये थे। मंगल सिंह मेमोरियल के अंतर्गत एसटीएआई के प्रेसीडेंट और इस्जेक के चीफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर संजय अवस्थी ने सस्टेनेबिलिटी ऑफ शुगर बिजनेस एफिशिएंसी एंड डायवर्सीफिकेशन टॉपिक पर अपने लेक्चर दिये थे। पहले दिन वक्ताओं ने सस्टेनेबिलिटी ऑफ एथेनॉल प्रोडक्शन इन करेंट सेनेरियो के अंतर्गत पैनल डिस्कशन किया था। दूसरे दिन 31 जुलाई को शुगर केन एग्रीकल्चर के अंतर्गत विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने विभिन्न शोध पत्रों को प्रस्तुत किया था।
दो दिवसीय एनुअल कन्वेंसन की प्रिंसिपल प्लेटिनम स्पांसर इस्जैक इंजीनियरिंग थी। प्लेटिनम स्पांसर एसएस इंजीनियर्स और नेचुरल रिसोर्स बायोकेम प्रा.लि. थी। डायमंड स्पांसर में एनके आर्गेनिक इन-आर्गेनिक, एसईडी और इंडियाना शुक्रोटेक प्रा.लि. थी। गोल्ड स्पांसर के अंतर्गत 12 कंपनियां और सिल्वर स्पांसर के अंतर्गत 6 कंपनियां थी। दो दिवसीय कान्फ्रेंस के अंतर्गत 114 स्टॉल पर दुनिया भर से आये एक्जीबिटर्स ने अपने उत्पादों के डिस्पले लगाये थे। देश और दुनिया के 1100 विजिटर्स इन दो दिनों में शुगर एक्सपो में भाग लेने आये थे।