खाद्य मंत्रालय ने सहकारी चीनी मिलों को अपने गन्ना आधारित एथेनॉल प्लांट्स को विविध कच्चा माल सुविधाओं में बदलने में मदद करने के लिए एक योजना बनाई है। इससे मक्का और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग करके साल भर संचालन संभव हो सकेगा।
संशोधित एथेनॉल ब्याज सहायता योजना के तहत घोषित इस पहल के तहत एक साल की स्थगन अवधि सहित 5 साल के लिए 6 प्रतिशत सालाना या बैंक ब्याज दर का 50 प्रतिशत जो भी कम हो, ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सरकार ने जुलाई 2018 से विभिन्न एथेनॉल ब्याज अनुदान योजनाओं को लागू किया है, जो अधिक ऊर्जा स्वतंत्रता और जीवाश्म ईंधन आयात को कम करने की दिशा में एक कदम है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि इस बदलाव से सहकारी चीनी मिलों को चार-पांच महीने के गन्ना पेराई सत्र से आगे भी परिचालन जारी रखने की सुविधा मिलेगी। इस पहल का उद्देश्य सरकार के पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) का समर्थन करना है। मंत्रालय ने कहा कि यह योजना सहकारी चीनी मिलों को गन्ना अनुपलब्ध होने पर वैकल्पिक कच्चे माल को उपयोग करने में सक्षम बनायेगा। इससे उनकी वित्तीय लाभप्रदता में सुधार होगी और राष्ट्रीय जैव ईंधन लक्ष्यों में योगदान मिलेगा।
गन्ना बकाया है ₹15504 करोड़
निमूबेन जयंतीभाई चीनी मिलों पर पिछले तीन वर्षों में गन्ना किसानों का 291 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें पंजाब के किसानों का 28 करोड़ रुपये बकाया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बंभानिया ने 11 मार्च को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बंभानिया जानकारी दी। आंकड़ों के अनुसार, चालू 2024-25 चीनी सीजन (अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025) में 13 राज्यों में कुल बकाया 15,504 करोड़ रुपये है, जिसमें पंजाब के किसानों का 751 करोड़ रुपये बकाया है। पिछले तीन सीजन का बकाया इस प्रकार थाः 2021-22 में 82 करोड़ रुपये है। वर्ष 2022-23 में 104 करोड़ रुपये और वर्ष 2023-24 में 105 करोड़ रुपये। वर्ष 2022-23 और 2023-24 में पंजाब के किसानों के लिए चीनी मिलों पर कोई भी बकाया भुगतान नहीं रहेगा।
मंत्री बंभानिया ने कहा कि सरकार ने गन्ना मूल्य बकाया कम करने के उद्देश्य से कई उपाय लागू किए हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप बकाया राशि में पर्याप्त कमी आई है, 2023-24 चीनी सत्र तक 99.9 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया जा चुका है। इसके अलावा 5 मार्च, 2025 तक चालू सत्र के लिए 80 प्रतिशत से अधिक बकाया चुकाया जा चुका है।
नई दिल्ली में हुआ ICUMSA कांफ्रेंस
चीनी विश्लेषण के एकसमान विधियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आयोग (ICUMSA) का 34वां सत्र भारत में दूसरी बार नई दिल्ली में आयोजित किया गया। मेजबान राष्ट्र के रूप में भारत का चयन वैश्विक चीनी उद्योग में बढ़ते नेतृत्व को रेखांकित करता है, जो तकनीकी नवाचार, गुणवत्ता वृद्धि और टिकाऊ उत्पादन प्रथाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ICUMSA के 34वें सत्र को अध्यक्ष डॉ. मार्टिन लीजडेकर्स ने संबोधित किया।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर की निदेशक डॉ. सीमा परोहा, STAI अध्यक्ष श्री संजय अवस्थी और आईसीयूएमएसए उपाध्यक्ष और सत्र की संयोजक श्रीमती वसुधा केशकर ने भी अपने विचार रखे। भारत में आईसीयूएमएसए की यात्रा को डॉ. एसएस निंबालकर ने प्रस्तुत किया। चुकंदर प्रसंस्करण, गन्ना प्रसंस्करण (जीएस 7) और एस7 (नमूनाकरण) बागान सफेद चीनी आदि पर रिपोर्ट की प्रस्तुति हुई। सत्र में 3 से 5 मार्च 2025 तक विभिन्न शोध परक रिपोर्ट रखी गई।
मार्च के लिए होगा 23 लाख टन चीनी कोटा
खाद्य मंत्रालय ने 25 फरवरी को एक घोषणा में मार्च 2025 के लिए 23 लाख मीट्रिक टन (LMT) का मासिक चीनी कोटा आवंटित किया, जो मार्च 2024 में आवंटित कोटा से कम है। मार्च 2024 में, सरकार ने घरेलू बिक्री के लिए 23.5 लाख मीट्रिक टन का मासिक चीनी कोटा आवंटित किया था। फरवरी 2025 के लिए, सरकार ने 22.5 लाख मीट्रिक टन चीनी कोटा आवंटित किया था। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मी और त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही घरेलू बाजार में सकारात्मक माहौल बना रहेगा। चीनी मिलों के पेराई सत्र के खत्म होने से भी बाजार को समर्थन मिलेगा