बरेली स्थित धामपुर बायो ऑर्गेनिक्स लिमिटेड की मीरगंज चीनी मिल द्वारा आयोजित गन्ना किसान गोष्ठी में पद्मश्री डॉ. बख्शी राम ने किसानों को सह फसल एवं पेड़ी प्रबंधन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गन्ना की पेड़ी में अधिक फुटाव को कटाई के 20 दिन में खाद नालियों में दें। किसान सह फसल कर गन्ना की फसल से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को बसंतकालीन बोआई, भूमि शोधन, गन्ना बीज शोधन, संतुलित उर्वरकों का प्रयोग, रोग एवं कीट प्रबंधन की जानकारी दी गई। चीनी मिल के फंक्शनल हेड एमआर खान ने ट्रेंच विधि से गन्ना बुआई करने, अधिक क्षेत्रफल में गन्ना बुआई कर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के बारे में जानकारी दी। महाप्रबंधक गन्ना, ओपी वर्मा ने किसानों से अधिक क्षेत्रफल में गन्ने की खेती पर जोर दिया। किसान चीनी मिल द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठाएं। गन्ना वैज्ञानिक ने किसानों की शंकाओं का समाधान किया। गोष्ठी से पूर्व डॉ. बख्शी राम ने क्षेत्र में गना के खेत का निरीक्षण किया। गोष्ठी में सर्वजीत सिंह मिल अधिकारी, फील्ड कर्मचारी एवं क्षेत्र के किसान मौजूद रहे।
गहरी जुताई करके बोयें गन्ना
लखीमपुर खीरी स्थित बजाज चीनी मिल द्वारा कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें चीनी मिल के वरिष्ठ महाप्रबंधक गन्ना पीएस चतुर्वेदी, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक आशुतोष मधुकर और मिल परिक्षेत्र के किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर वरिष्ठ महा प्रबन्धक, गन्ना ने किसानों से गन्ना बुवाई से पूर्व गहरी जुताई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जमीन की निचली परतें कड़ी हो चुकी हैं। किसान ट्रेंच विधि से गन्ना बुआई करें और गन्ने के ऊपरी एक-तिहाई हिस्से को बीज में प्रयोग करके शेष भाग को मिल में आपूर्ति कर दे। गन्ना प्रबंधक सत्येन्द्र कुमार मिश्र ने पेड़ी गन्ने की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए गन्ना कटाई के तुरन्त बाद सिंचाई करके 75 किलो ग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करने की सलाह दी। गोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व प्रधान जितेन्द्र कुमार शुक्ल ने की। इस अवसर पर सहायक गन्ना अधिकारी रावेन्द्र कुमार, कृषक राकेश मिश्र, ओमप्रकाश यादव, अनिल वर्मा, केदारनाथ वर्मा, राजेश कुमार सहित सैकड़ों किसान मौजूद थे।
कायमगंज में लगेगा शीरा टैंक
फर्रुखाबाद स्थित कायमगंज चीनी मिल सभागार में उपाध्यक्ष जय गंगवार की अध्यक्षता में 4 मार्च को हुई बोर्ड की बैठक में शीरा टैंक व सड़क निर्माण के 3.55 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। बैठक में जीएम शादाब असलम ने कहा कि मिल में एक ही शीरा टैंक होने के कारण शीरा स्टोरेज की समस्या है। बारिश के दौरान मिल यार्ड में कीचड़ हो जाने से गन्ना लदे वाहन फंस जाते हैं। बैठक में शीरा टैंक व केन यार्ड की पांच सड़कें बनाए जाने के लिए प्रस्ताव बोर्ड के समक्ष रखा गया। इससे पहले 22 फरवरी की बैठक में भी शीरा टैंक व सड़क निर्माण के प्रस्ताव रखे गए थे। तब बोर्ड ने यह कहते हुए असहमति जताई थी कि उन्हें अभी तक पिछली बैठक में मांगे गए बिंदुओं पर मिल प्रशासन ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। इसके बाद प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था। बैठक में मिल प्रशासन ने सभी मिल कर्मचारियों की सूची व आय-व्यय का ब्यौरा बोर्ड को उपलब्ध करा दिया। बोर्ड के सभी सदस्यों ने इसके बाद शीरा टैंक व सड़क निर्माण के प्रस्ताव पर मोहर लगा दी। डायरेक्टर्स ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भुगतान बोर्ड की संतुष्टि के बाद ही किया जाएगा। महाप्रबंधक शादाब असलम ने गुणवत्तापरक कार्य का आश्वासन दिया। बैठक में अच्युत कुमार, ओंकार सिंह, श्री कृष्ण, रामकिशोर, शीलेश तिवारी और मुख्य गन्ना अधिकारी धर्मेंद्र यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
बंद बुढ़वल मिल चलेगी पीपीपी मॉडल पर
राज्य सरकार ने रामनगर बाराबंकी में स्थित 18 साल से बंद बुढ़वल चीनी मिल पीपीपी मॉडल पर चलाने की योजना बनाई है। 1979 से निरंतर चल रही यह मिल उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम के अधीन थी। 2007 में घाटे के कारण इसे बंद कर दिया गया। यह मिल समाजवादी सरकार के दौरान नीलाम कर दी गई थी। मिल की बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है और मिल सुरक्षा के लिए 12 गार्ड तैनात हैं। रामनगर के एसडीएम ने मिल की जमीनों से अवैध कब्जा हटवाया है। चारों तरफ बैरिकेडिंग की गई है। चीनी उद्योग के विशेष सचिव ने बताया कि मिल को पीपीपी मॉडल पर निजी हाथों में देकर शुरू किया जाएगा। बुढ़वल चीनी मिल की स्थापना 1931 में कानपुर के सेठ दयाराम व दुर्गाशंकर ने 13.24 हेक्टेयर क्षेत्र में की थी