बसपा सरकार के दौरान हुए चीनी मिल बिक्री घोटाले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व एमएलसी मोहम्मद इक़बाल की 1 हज़ार करोड़ रुपए की तीन चीनी मीलों को जब्त कर लिया। ईडी ने पूर्व एमएलसी के देवरिया जिले की बेतालपुर और भटनी तथा जौनपुर जिले की शाहगंज चीनी मिल को जब्त किया है। इन चीनी मिलों को मोहम्मद इक़बाल और उनके करीबियों ने मैलो इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, डायनेमिक शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड और हनीवेल शुगर्स नामक शेल कंपनियों के जरिए औने-पौने दामों पर खरीदा था।
ईडी की जांच में पता चला कि इन मिलों का बाजार मूल्य कई गुना ज्यादा था। इन्हें खरीदने के लिए वीके हेल्थ सॉल्यूशन्स से असुरक्षित लेनदेन भी दिखाया गया था। बसपा सरकार के दौरान बेची गई 21 सरकारी चीनी मिलों में से 7 को तत्कालीन बसपा एमएलसी मोहम्मद इकबाल की कंपनियों ने खरीदा था। इकबाल पर सहारनपुर में अवैध खनन के मामले भी दर्ज हैं। फिलहाल मोहम्मद इकबाल दुबई में पनाह लिए हुए हैं। ईडी सहारनपुर में इकबाल की ग्लोकल यूनिवर्सिटी को भी जब्त कर चुकी है, जिसकी कीमत 4 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है।
गौरतलब है कि 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य चीनी निगम लिमिटेड ने इस मामले में गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। एफआईआर के 6 महीने बाद सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। सीबीआई जांच में पूरी हेराफेरी का खुलासा हुआ जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। यह अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई है।
किसान का गुड़ पहुंचा अमेरिका
चंदौली जिले के चकिया के महादेवपुर कला गांव का एक किसान जैविक खेती कर रहा है। इस खेती में उसके गन्ने से बना गुड़ अमेरिका तक अपनी मिठास बिखेर रहा है। गांव के पूर्व प्रधान सोमन राम पिछले 20 सालों से जैविक पद्धति से गन्ने की खेती कर रहे हैं। वह अपने कोल्हू से शुद्ध देसी गुड़ का उत्पादन करते हैं। दरअसल, सोमन राम 2 एकड़ से अधिक जमीन में केवल देसी उर्वरकों का प्रयोग कर गन्ने की खेती करते हैं। वह हर साल जनवरी और फरवरी में पारंपरिक विधि से गुड़ बनाते हैं। उनके गुड़ की विशेषता यह है कि इसमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस गुड़ की खासियत की चर्चा तब और बढ़ गई जब वाराणसी के एक एमबीबीएस डॉक्टर ने इसे अमेरिका में पेश किया। जहां इसे लोगों ने बेहद पसंद किया। यह न केवल स्वाद में बेहतर है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। कृषि विभाग भी क्षेत्र के किसानों को जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित कर रहा है। विभाग द्वारा किसान गोष्ठियों के माध्यम से जैविक खेती के फायदों के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है। इसका सकारात्मक प्रभाव यह हुआ है कि क्षेत्र के कई किसान अब रासायनिक खादों के बजाय जैविक विधि को अपना रहे हैं।