हाल ही में कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ना किस्म को. से. 17451, को. शा 19231 और को लख. 16470 को जारी किया है। सरकार ने इन नई गन्ना किस्मों की पैदावार और इसमें शर्करा की मात्रा के आंकड़े भी दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन किस्मों से किसानों को गन्ने की बंपर पैदावार मिल सकती है।
को. शा. 19231 किस्म
गन्ने की नई किस्म को. शा. 19231 पूर्व में प्रचलित गन्ना किस्म को. से. 95422 के पॉलीक्रॉस द्वारा शाहजहांपुर संस्थान में विकसित की गई है। आंकड़ों के अनुसार इसकी औसत उपज 92.05 टन प्रति हेक्टेयर पाई गई है। जनवरी महीने में इसके रस में शर्करा 17.85 प्रतिशत और गन्ने में शर्करा 13.20 प्रतिशत पाई गई है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 12.23 टन दर्ज किया गया है। को.शा. 19231 गन्ना किस्म को काकोरी कांड के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के नाम पर ‘लाहिड़ी’ नाम दिया गया है। गन्ने की इस किस्म को संपूर्ण उत्तर प्रदेश में अगेती खेती के लिए उपयुक्त पाया गया है।
को. से. 17451 किस्म
गन्ने की को. से. 17451 किस्म पुरानी गन्ने की किस्म बि.उ. 120 जी.सी. द्वारा सेवरही संस्थान पर विकसित की गई है। आंकड़ों के मुताबिक पौधा गन्ना की औसत उपज 87.96 टन प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म से जनवरी महीने में रस में शर्करा की मात्रा 16.63 प्रतिशत और गन्ने में शर्करा 12.82 प्रतिशत पाई गई है। वहीं नवंबर व जनवरी महीने में क्रमशः 17,82 एवं 13.73
प्रतिशत शर्करा पाई गई है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 10.81 टन दर्ज किया गया है। गन्ना किस्म 17451 को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ. कृष्णानंद के सड़क दुर्घटना में असामयिक निधन के कारण उनके नाम पर इस किस्म को ‘कृष्णा’ नाम दिया गया है। गन्ने की इस किस्म को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अनुशंसित किया गया है।
को. लख. 16470 किस्म
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की ओर से विकसित और भारत सरकार द्वारा नोटिफाइड गन्ना किस्म को. लख. 16470 मध्य देर से पकने वाली गन्ना किस्म है। इसकी औसत उपज 82.50 टन प्रति हेक्टेयर है और 12 माह पर रस में शर्करा 17.37 प्रतिशत पाई गई हैं। वहीं गन्ने में शर्करा 13.20 प्रतिशत है। यह किस्म मध्य-देर से बुवाई के लिए उपयुक्त पाई गई है। गन्ने की इस किस्म को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए जारी किया गया है।
गन्ना किस्म 0238 से बेहतर हैं को. से. 17451 और को. लख. 16470 किस्म
गन्ने की किस्म को. से. 17451 और को. लख. 16470 किस्म को गन्ने की 0238 किस्म से बेहतर पाया गया है। इन दोनों अगेती गन्ना किस्मों का गन्ना मध्यम मोटा, ठोस, पोरी लंबी होती है। को. शा. 19231 में गूदे के मध्य बारीक छिद्र और अगोला पर हल्के रोयें पाए जाते हैं। यह लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम रोग प्रतिरोधी किस्म है।
परीक्षण आंकड़ों के अनुसार बहुप्रचलित गन्ना किस्म को. 0238 की औसत उपज 82.97 टन प्रति हेक्टेयर पाई गई तथा नवंबर, जनवरी एवं मार्च में रस शर्करा
गन्ने की खेती के लिए वरदान है शुगर केन वीडर
शुगर केन वीडर मशीन गन्ने की खेतों में उगने वाली खरपतवार को जड़ से साफ कर देता है। इस कृषि यंत्र से न केवल गन्ने का खेत साफ रहता है बल्कि गन्ने की ग्रोथ भी बेहतर होती है। गन्ने की बुवाई के बाद खेत में तरह-तरह की घास उग आती है, जिससे गन्ने की ग्रोथ प्रभावित होती है। किसान घास को हटाने के लिए कीटनाशक दवाओं का स्प्रे भी करते हैं। इसमें किसानों का काफी पैसा खर्च होता है।
शुगर केन वीडर मशीन इस समस्या को कम खर्च में हल कर सकती है। इससे किसानों को अच्छा फायदा मिला है। पहले के लोग गन्ने की फसल से खरपतवारों को हटाने और निराई-गुड़ाई के लिए फावड़े और खुरणी का इस्तेमाल करते थे। इसमें किसान ज्यादा समय में कम काम कर पाते थे। शुगर केन वीडर का इस्तेमाल खरपतवारों को हटाने और फसलों में मिट्टी चढ़ाने के लिए किया जाता है। इस मशीन की कीमत लगभग 1.3 लाख रुपये है। ये कृषि यंत्र किसानों को सब्सिडी पर भी मिल जाता है। इसे चलाने के लिए 40 से 50 हॉर्स पावर का ट्रैक्टर होना चाहिए।
16.01, 17.88 और 19.19 प्रतिशत तथा माह नवंबर, जनवरी व मार्च में शर्करा क्रमशः 11.69, 13.09 व 14.21 प्रतिशत पाई गई है। वहीं प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 10.89 टन है। दोनों नई अगेती किस्मों को.शा. 19231 एवं को. से. 17451, गन्ने की 0238 व को. लख. 94184 से उपज एवं परता आंकड़ा बेहतर पाया गया है।