प्रमुख सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग वीना कुमारी की अध्यक्षता में 17 फरवरी को पेराई सत्र 2024-25 हेतु गन्ना किस्म विस्थापन, बीज बदलाव एवं बसन्तकालीन बुवाई को बढ़ाने हेतु समीक्षा बैठक की गयी। उन्होंने बताया कि गन्ना किस्म को. 0238 के लाल सड़न रोग से प्रभावित होने एवं उपज में गिरावट के कारण इसका विस्थापन आवश्यक हो गया है। साथ ही चीनी मिलों को उनकी पेराई क्षमता के अनुरूप पर्याप्त गन्ने की उपलब्धता हेतु गन्ने की पर्याप्त बुआई भी आवश्यक है। तत्क्रम में को. 0238 गन्ना किस्म का बदलाव एवं उच्च उत्पादन तथा चीनी परता वाली रोग-रोधी नवीन स्वीकृत गन्ना किस्मों का आच्छादन बढ़ाया जाना जरूरी है। राज्य सरकार द्वारा शोध संस्थानों के माध्यम से नई गन्ना किस्में स्वीकृत की गई हैं जो अच्छा उत्पादन एवं चीनी परता देने में सक्षम है तथा लाल सड़न रोग के प्रति रोग-रोधी भी बतायी गई हैं। अगेती गन्ना किस्में को. शा. 19231, को. से. 17451, को. 15023, को. 0118, को. लख. 14201, को. लख. 16202, को.शा. 13235, को.शा. 17231, को.शा.18831 एवं को. लख. 15466 किस्में को.0238 के विस्थापन हेतु चयनित की गई हैं। इनमें से को. से. 17451, को. लख. 16470 (मध्य देर) एवं को. लख. 15466 मात्र पूर्वी उ.प्र. के लिए हैं। विभाग द्वारा कुल 13.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसंतकालीन गन्ना बुआई का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 7.97 करोड़ कु. बीज चीनी मिलों द्वारा आरक्षित किया गया है।
उक्त के सापेक्ष 20.25 लाख कृषकों से 9.30 लाख हेक्टेयर बुआई का इण्डेन्ट प्राप्त किया जा चुका है और लगभग 46 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना बुआई की
जा चुकी है। चीनी मिलों द्वारा बसंतकालीन बुआई के लिए 202.09 करोड़ का बजट भी अपने संसाधनों से जुटाया गया है। पहली बार चीनी मिलों के विकास कार्यक्रमों हेतु डेडीकेटेड एकाउण्ट खोलने के निर्देश दिये गये हैं तथा मिलों द्वारा अपना विकास कार्यक्रमों का बजट इस एकाउण्ट के माध्यम से व्यय किया जायेगा, जिससे विकास कार्यक्रमों में पारदर्शिता आयेगी।
यह भी संज्ञान में आया है कि कुछ बीज गन्ना उत्पादक किसान शोध संस्थानों द्वारा विकसित नई गन्ना किस्मों के नाम से छद्म गन्ना किस्मों के बीज का व्यापार करने का प्रयास कर रहे हैं। अतः किस्मों की शुद्धता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ऐसे बीज उत्पादकों की पहचान कर उनके विरूद्ध कठोर विधिक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये। सम्बन्धित जिला गन्ना अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में स्थित बीज गन्ना उत्पादकों की जांच कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करायें। विगत माहों में गन्ने की खड़ी फसल में टाप बोरर, हल्के बिल्ट, जड़-विगलन, मिलीबग एवं लाल सड़न के लक्षण कई स्थानों पर पाये गये थे। उक्त के दृष्टिगत आने वाले मौसम में इन रोग-कीटों के नियंत्रण के सम्बन्ध में ससमय आवश्यक एडवाइजरी जारी करने
हेतु निर्देश दिये गये। बैठक में गन्ना आयुक्त, उ.प्र., प्रबन्ध निदेशक, सहकारी चीनी मिल संघ, अपर गन्ना आयुक्त (विकास) / निदेशक, उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, मुख्य गन्ना विकास सलाहकार, सहकारी चीनी मिल संघ, प्रगतिशील गन्ना किसानों, चीनी मिलों के प्रधान प्रबन्धक/प्रतिनिधि, गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा फिजिकल/वर्चुअल रूप से प्रतिभाग किया गया।
गन्ना शोध संस्थान ने किया 4122 कुंतल ब्रीडर सीड का आवंटन
अपर गन्ना आयुक्त विकास एवं शोध समन्वय कार्यालय के निर्देश पर गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान सेवरही द्वारा 9 जिलों को 4122 कुन्तल अभिजनक गन्ना बीज (ब्रीडर सीड) का आवंटन किया गया है। बसंतकालीन गन्ना बुवाई के लिए 2025-26 हेतु गन्ने की शीघ्र पकने वाली चार प्रजातियां को. शा. 13235, को. लख, 14201, को. 0118, यू.पी. 05125 का 3273 कुंतल तथा 4 मध्य देर से पकने वाली प्रजातियां को. शा. 9232, को. से. 8452, को. से. 13452 तथा को. शा. 10239 का 849 कुंतल आवंटन हुआ है। गन्ना विकास परिषद परिक्षेत्र में पौधशाला भी कृषकों के खेतों पर स्थापित किया गया है। गन्ना बीज संवर्धन केंद्र लक्ष्मीपुर कुशीनगर