केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ‘इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2024’ के दूसरे दिन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर और टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ बातचीत में प्रदूषण (खास कर पराली जलाने से) से निपटने पर कहा कि 40 फीसदी प्रदूषण परिवहन मंत्रालय के कारण होता है। दिल्ली के प्रदूषण पर गडकरी ने कहा कि राजधानी में 65000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिससे शहर का प्रदूषण और जाम कम होगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा, पंजाब समेत दिल्ली के आस-पास के राज्यों में चावल की खेती के कारण 2 लाख टन पराली उत्पादित होती है। अब इस पराली से जुड़ा एक प्रोजेक्ट पानीपत में शुरू किया गया है। इससे 1 लाख लीटर एथेनॉल, 150 टन बायो-बिटुमेन और 88000 टन बायो एविएशन फ्यूल का प्रोडक्शन होगा।
पराली से बन रही सीएनजी
नितिन गडकरी ने बताया कि पराली से जुड़े 400 प्रोजेक्ट प्रोसेस में हैं। इसमें से 40 पूरे हो गए हैं, जो पराली से बायो सीएनजी बना रहे हैं। 7 लाख टन पराली से इन चीजों का प्रोडक्शन हुआ। इसके नतीजे में पराली से होने वाला प्रदूषण कम हुआ। अभी 140 लाख टन पराली बाकी है।
2500 रु प्रति टन पर होगी खरीद
नितिन गडकरी ने कहा कि उन्होंने पंजाब के कुछ अधिकारियों से मुलाकात की और उनसे एक योजना तैयार करने को कहा है।
2 साल में पराली की समस्या का होगा समाधान
नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई कि अगले 2 साल में पराली की समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कई अन्य मुद्दों और कई तरह के फ्यूल पर भी चर्चा की है। इनमें हाइड्रोजन शामिल है।
योजना के तहत पराली जलाई नहीं जाएगी, बल्कि इसे 2500 रु प्रति टन पर खरीदा जाएगा यानी एक तरह से बेकार चीज से वैल्यू बनेगी।