इन दिनों गन्ने की कटाई चल रही है। ऐसे में किसानों को गन्ने की कटाई के साथ-साथ पेड़ी डॉ. श्री प्रकाश यादव की फसल पर भी ध्यान देना जरूरी है। पेड़ी या रटून फसल वह होती है, जो गन्ने की मुख्य फसल के कटने के बाद उसी भूमि से फिर से उगाई जाती है। अगर सही तरीके से पेडी फसल का ध्यान रखा जाए, तो इससे भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
इसके बारे में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. श्री प्रकाश यादव ने लोकल 18 को बताया कि किसान गन्ने की पेड़ी फसल उन्नत तकनीक से उगाकर 400 से 600 क्विंटल पैदावार प्रति एकड़ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि गन्ने की पेड़ी फसल के लिए खेत को तैयार नहीं करना पड़ता है। साथ ही बीज की बचत और कम निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। इसमें लगभग 15-20 हजार प्रति एकड़ की लागत आती है। इसकी देखभाल से भी बीज फसल के मुकाबले पेड़ी फसल से डेढ़ गुना तक पैदावार ली जा सकती है।
श्री प्रकाश यादव ने कहा कि गन्ने की हार्वेस्टिंग के बाद किसानों को पेड़ी प्रबंधन के लिए काम करना चाहिए क्योंकि जरा सी देरी करने से पेड़ी की फसल को नुकसान हो सकता है। ऐसे में सबसे पहले खेत में पानी चला दें। पानी चलाने के बाद 75 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से गन्ने के ठूंठों के ऊपर छिड़काव कर दें। यूरिया छिड़काव करने के बाद हल्की गुड़ाई कर दें या फिर छोटे रोटावेटर से ठूंठों के बीच की जगह को जोत दें। आगे बताया कि गन्ने की हार्वेस्टिंग के बाद बची हुई गन्ने की पत्तियों को खेत में ही निस्तारित करें। जिससे मृदा स्वास्थ्य सुधरेगा। मिट्टी में
आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी। जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा। गन्ने की पत्तियों को लाइनों में सेट करने के बाद पानी चला दें। पानी इतना चलाएं की पत्तियां डूब जाए। उसके बाद 4 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से ऑर्गेनो डी-कंपोजर, 2 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर गन्ने की पत्तियों के ऊपर डाल दें। 30 से 35 दिन के बाद गन्ने की पत्तियां सड़ कर खाद में तब्दील हो जाएगी। ऐसा करने से गन्ने में फुटाव अच्छा होगा। निकलने वाले कल्ले मजबूत होंगे और खेत में खरपतवार भी कम उगेंगे।
पत्तियों को निस्तारित करने के बाद गैप फिलिंग करना भी जरूरी है। अगर एक ठूंठ से दूसरे ठूंठ के बीच एक फिट से ज्यादा दूरी हो तो गैप फिलिंग जरूर करें। डॉ. श्री प्रकाश यादव ने बताया कि किसान सीधे दो आंख या तीन आंख का टुकड़ा ना लगाएं बल्कि पॉलीबैंग या फिर सिंगल बड़ से तैयार की हुई नर्सरी का पौधा ही लगाएं। ध्यान रखें कि आप जो पौधा गैप फिलिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं वह 20 से 25 दिन पुराना हो।