गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि ऑर्गेनो डी कंपोजर ट्राइकोडर्मा डॉ. सुनील विश्वकर्मा स्पीशीज से तैयार किया गया है। इसको तैयार करने के लिए क्वालिटी कंट्रोल का पूरा ध्यान रखा जाता है। ट्राइकोडर्मा स्पीशीज को टेलकम पाउडर में मिला कर ऑर्गेनो डी कंपोजर तैयार होता है। जिसकी भंडारण क्षमता 6 महीने तक होती है।
ऑर्गेनो डी कंपोजर से प्रेसमड़ और गोबर को सड़ा कर उसकी भी खाद बनाई जा सकती है। एक क्विंटल प्रेसमड़ या गोबर की खाद बनाने के लिए एक किलो ऑर्गेनो डी कंपोजर की जरूरत होगी, जिसका घोल बनाकर गोबर और प्रेसमड़ के ऊपर छिड़काव करना है। 10 दिन बाद एक बार गोबर और प्रेसमड़ को पलट कर फिर ऑर्गेनो डी कंपोजर का छिडकाव कर देना है। इसी तरह 2 से 3 बार छिड़काव करने के बाद उसको 30 से 40 दिन के लिए छोड़ देना है। जिसके बाद कंपोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को खेत में जोत देना है। उसके बाद 10 किलो ऑर्गेनो डी कंपोजर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डाल देना है और खेत में सिंचाई कर देनी है। सिंचाई करने के बाद उसमें 40 किलो यूरिया और 50 किलो सिंगल सुपर फास्फेट का छिड़काव करना है। नमी रहते ही 10 दिन बाद एक बार फिर से खेत को जोत देना है। इसके बाद उसमें फसल बोई जा सकती है।
आर्गेनो डी कंपोजर से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। फसल अवशेष खेत में ही सड़ने से उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व से कंपोस्ट खाद तैयार होगी जो फसल के लिए बेहद लाभदायक होगी। गन्ना शोध परिषद की ओर से यह ऑर्गेनो डी कंपोजर किसानों को 56 रुपए प्रति किलो की दर से मुहैया कराया जाता है। अगर कोई भी किसान ऑर्गेनो डी कंपोजर लेना चाहता है तो वह उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर आकर ले सकता है।