छह वर्षों के दौरान बिहार में एथेनॉल का उत्पादन करीब दस गुणा बढ़ गया है। सूबे में 2018 में एथेनॉल का उत्पादन मात्र 5.77 करोड़ लीटर था, जो 2024 की पहली छमाही में ही 32.13 करोड़ लीटर पहुंच गया है। अधिकारियों के मुताबिक इस साल कई नयी इकाइयों से उत्पादन शुरू होने के चलते साल अंत तक उत्पादन 60 करोड़ लीटर पार करने की उम्मीद है।
पेट्रोलियम कंपनियों के स्तर पर भंडारण क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकी है। अब भी मात्र 15 करोड़ लीटर के आसपास ही इथेनॉल का भंडारण संभव हो पा रहा है। इसके चलते उत्पादकों के टैंकर कई दिनों तक पेट्रोलियम कंपनियों के प्लांटों में खड़े रखे जाने के बाद दक्षिण भारत के राज्य केरल आदि भेज दिये जा रहे हैं। इससे उत्पादकों की उत्पादन लागत बढ़ रही है। इसको देखते हुए एथेनॉल के भंडारण को लेकर पेट्रोलियम कंपनियों को अपनी क्षमता बढ़ानी होगी। बिहार में एथेनॉल उत्पादन इकाइयां बढ़ने से खास कर मक्के की मांग बढ़ी है। पहले बाजार में मक्का 1820 रुपये प्रति क्विंटल था, जो इस बार बढ़ कर 2240 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। इसके अलावा अनाज, चावल और छोआ आधारित एथेनॉल इकाइयों का भी संचालन हो रहा है। 2020 तक अनाज और मक्का आधारित मात्र एक-एक इकाई ही कार्यरत थी, मगर अब ग्रेन आधारित पांच और मक्का आधारित चार इथेनॉल इकाइयां चल रही हैं। वर्तमान में डेढ़ दर्जन डिस्टलरीज से बड़ी मात्रा में एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है।