देश में इस सीजन अगर एथेनॉल उत्पादन की बात की जाए तो मक्का और ग्रेन से गन्ना के मुकाबले ज्यादा अतुल चतुर्वेदी उत्पादन हुआ है। इस विषय पर जी बिजनेस से बातचीत में श्री रेणुका शुगर के कार्यकारी अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि इस बार मक्के और चावल से एथेनॉल ज्यादा बना है और वो स्वाभाविक भी है क्योंकि सरकार ने दिसंबर 2023 में गन्ना जूस और और बी हैवी से एथेनॉल पर प्रतिबंध लगा दिया था तो यह निश्चित था कि कोई और सेक्टर ही इसको कम्पनसेट करेगा। उन्होंने लेटेस्ट आंकड़ें साझा करते हुआ कहा कि 15 जुलाई तक 54 प्रतिशत एथेनॉल ग्रेन से आया है और लगभग 46 प्रतिशत शुगर सेक्टर है।
उन्होंने आगे कहा कि आज जो मक्के से एथेनॉल बनता है उससे एक बाय प्रोडक्ट डीडीजीएस बनती है। डीडीजीएस अभी पोल्ट्री फार्म वाले ले रहे हैं लेकिन वहां पर टॉक्सिन की बहुत जबरदस्त प्रॉब्लम खड़ी हो गई है। मक्के का दाम जो 20-22 रूपये पर हुआ करता था अब 27 रूपये के आसपास हो गया है। इस लेवल पे मक्का भी प्रॉफिटेबल नहीं रह गया है। मेरा तो यह मानना है कि देश को जिस चीज में उसकी अधिकता हो जैसे आज चीनी के केस में अपनी चीनी कहीं ज्यादा है उपभोग से उसी चीज को एथेनॉल के लिए सरकार को डाइवर्ट करना चाहिए। जैसे इंडोनेशिया के पास पाम ऑइल ज्यादा है तो बायोडीजल में जा रहा है उसी तरह मलेशिया में। तो जहां पे जिस भी देश को जो चीज उसके यहाँ ज्यादा है वो डायवर्ट करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि मक्का देश में आज कहीं ज्यादा है। चावल जरूर ज्यादा है पर चावल एक ऐसी चीज है कि जो हम लोगों ने एक्सपोर्ट पर बैन किया हुआ है। कहीं ना कहीं मैं समझता हूं थोड़ा विचार करना पड़ेगा और जहां तक नीति आयोग का सवाल है आयोग ने यह प्लान किया था कि 20 प्रतिशत पर ब्लेंडिंग हासिल करने के लिए 2025 तक 10.16 बिलियन लीटर देश को एथेनॉल चाहिए। उसमे शुगर सेक्टर से साढ़े पांच बिलियन लीटर तथा मक्का और अन्य से 4.6 बिलियन लीटर की आपूर्ति होगी। मैं समझता हूं कहीं कहीं थोड़ा डिस्टॉर्शन हो रहा है। गवर्नमेंट को शुगर सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए दुबारा सोचना चाहिए।