Monday, September 29, 2025
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‘कैन एक्सीलेंस प्रोग्राम’: किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि में तकनीक लाने की कोशिश

भारतीय खेती आज दो बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है — जलवायु परिवर्तन और किसानों की आमदनी बढ़ाना। खासकर गन्ने की खेती करने वाले छोटे किसानों को मौसम की अनिश्चितता और बाज़ार की अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।

इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए ज़ुआरी इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड ने ‘कैन एक्सीलेंस प्रोग्राम’ शुरू किया है। इस कार्यक्रम का मकसद सिर्फ किसानों से गन्ना खरीदना नहीं, बल्कि उनके साथ एक भागीदारी का रिश्ता बनाना है ताकि दोनों का विकास हो।


मुख्य उद्देश्य क्या है?

डॉ. फौज़िया तरन्नुम, जो इस कार्यक्रम की सलाहकार हैं, कहती हैं कि इसका मुख्य मकसद है:

  • किसानों के साथ साझेदारी करना, न कि सिर्फ खरीद-बिक्री का रिश्ता रखना

  • गन्ने की उत्पादकता बढ़ाना

  • डिजिटल तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों से खेती को बेहतर बनाना

उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के एक इलाके में जहां पहले औसत उत्पादन 63.6 टन प्रति हेक्टेयर था, वहां वैज्ञानिक तरीकों से इसे बढ़ाकर 89.5 टन तक ले जाया गया — और कुछ किसानों ने तो 120 से 150 टन प्रति हेक्टेयर तक भी उत्पादन किया।


यह बदलाव कैसे आया?

इसका श्रेय जाता है एक सटीक, डेटा-आधारित और तकनीकी दृष्टिकोण को:

  • मिट्टी की जांच, उचित बीज का चयन और खेती की वैज्ञानिक तकनीकें अपनाई गईं

  • उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई सही समय पर की गई

  • मोबाइल ऐप, व्हाट्सऐप ग्रुप्स और फील्ड विज़िट्स के ज़रिए किसानों को ट्रेनिंग दी गई

  • डेमो प्लॉट्स पर खेती करके किसानों को बेहतर तरीकों के फायदे दिखाए गए


टेक्नोलॉजी का क्या रोल रहा?

हालांकि शुरुआत में डिजिटल तकनीक को अपनाना चुनौती था, खासकर उन किसानों के लिए जिनके पास स्मार्टफोन नहीं थे। लेकिन:

  • एक खास ऐप ‘कक्षा मैप’ बनाया गया

  • व्हाट्सऐप ग्रुप्स और यूट्यूब वीडियो से जानकारी फैलाई गई

  • IVR कॉल सेंटर के ज़रिए भी किसानों तक पहुंच बनाई गई

अब टेक्नोलॉजी के ज़रिए जुड़ाव 11% से बढ़कर 83% हो गया है।


ज़ुआरी इंडस्ट्रीज़ को क्या फायदा हुआ?

इस प्रोग्राम से कंपनी को भी बड़ा फायदा हुआ:

  • पिछले साल कंपनी ने 133 लाख क्विंटल गन्ने की प्रोसेसिंग की थी

  • इस साल बाढ़ से नुकसान के बावजूद 144 लाख क्विंटल क्रश किया गया, यानी 8% की बढ़ोतरी

यह सब संभव हुआ बेहतर गुणवत्ता वाले गन्ने की नियमित सप्लाई के कारण।


भविष्य की योजना क्या है?

डॉ. तरन्नुम कहती हैं कि अभी यह शुरुआत है। वे इस मॉडल को:

  • पूरे 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लागू करना चाहती हैं

  • 50,000 किसानों को इससे जोड़ना चाहती हैं

  • और एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहती हैं जिसमें किसान और कंपनी दोनों की तरक्की एक-दूसरे से जुड़ी हो


निष्कर्ष:

कैन एक्सीलेंस प्रोग्राम’ सिर्फ एक कृषि पहल नहीं, बल्कि एक नई सोच का मॉडल है — जहां किसान को केंद्र में रखकर तकनीक, ज्ञान और साझेदारी के ज़रिए खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा रहा है।

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