Friday, December 27, 2024
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ग्लोबल लेवल पर भारत में चीनी की औसत खपत है कम

एसटीएआई के प्रेसिडेंट संजय अवस्थी और वाइस प्रेसिडेंट अनूप केसरवानी से खास बातचीत

प्रश्न- भारत में सबसे ज्यादा गन्ने की पैदावार कहां होती है। उपज बढ़ाने के लिए क्या किया जा रहा है?

उत्तर- पहले यूपी के गन्ने में 10 परसेंट तक शुगर होती थी, अब 13 परसेंट तक निकल रही है। आज चीनी की 75 परसेंट पैदावार महाराष्ट्र और यूपी में हो रही है, जबकि खपत के लिए पूरा देश है। सबसे ज्यादा खपत औसत प्रति व्यक्ति मध्य प्रदेश में हो रही है। हालांकि ग्लोबल लेवल पर बात की जाए तो भारत काफी पीछे है। यहां हर माह प्रति व्यक्ति 1 किलो तक सेवन कर रहा है, जबकि अमेरिका जैसे देश 3 किलो तक इसका सेवन कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है- पैक्ड फूड।

प्रश्न- शुगर इंडस्ट्री देश को कैसे आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रही है?

उत्तर- विश्व पटल पर भारत तेजी से बदल रहा है। क्रूड ऑयल के अलावा अधिकतर चीजों पर भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो चुकी है। हमें 85 से 87 परसेंट क्रूड ऑयल विदेशों से खरीदना पड़ता था, लेकिन अब यह निर्भरता भी धीरे-धीरे कम होने लगेगी। हमारे गन्ने से जो मोलासेस (शीरा) निकलता है,

उससे एथेनॉल बन रहा है, जो पेट्रोल में बदल जाता है। इस माह इसका 15 प्रतिशत मिश्रण हुआ है, जिसे सरकार 20 प्रतिशत तक पहुंचाने पर काम कर रही है। इससे फॉरेक्स की अब तक 28 मिलियन यूएस डॉलर की सेविंग हो चुकी है। देश सोलर और ईवी पर भी तेजी से काम कर रहा है। जल्द ही क्रूड ऑयल के लिए भारत की विदेशों पर निर्भरता खत्म या बहुत कम हो जाएगी।

प्रश्न- शुगर पेशेंट बढ़ रहे हैं। इंडस्ट्री के सामने यह भविष्य की बड़ी चुनौती है, इसे कैसे देखते हैं?

उत्तर- भारत का सालाना कंजप्शन 270 से 280 लाख टन है। 300 लाख टन चीनी हम बना लेते हैं। बढ़ती पॉपुलेशन के साथ हर साल चीनी की मांग 5-6 परसेंट बढ़ रही है। यह एक भ्रम है कि शुगर से बीमारियां बढ़ रही हैं, जबकि असली वजह है हमारी बदलती लाइफ स्टाइल। फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर हो रही है।

प्रश्न- टेक्नोलॉजी के आने से शुगर इंडस्ट्री में क्या बदलाव आया है?

उत्तर- पुराने समय में एक एकड़ में गन्ना 30 से 35 टन होता था, अब 100 से 125 टन तक पैदावार हो रही है। खेती में तेजी से हो रहे नवाचार के कारण ही यह संभव हुआ है। गन्ने में 70 प्रतिशत तक पानी होता है। इस पानी को मिल से खेतों में भेजा जा रहा है।

हर्षवर्धन को मिला मनोहर राव गोल्ड मेडल

एसटीएआई के कन्वेंसन के दौरान डीसीएम श्रीराम लि. के एवीपी हर्षवर्धन को पी. जे. मनोहर राव गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। यह

अवार्ड उन्हें शुगर के को-प्रोडक्ट में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। उन्होंने बायोफ्यूल के उत्पादन में इनोवेटिव टेक्नोलॉजी का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाने में बड़ी सफलता इंडस्ट्री को दिलाई है।

लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित हुए 10 दिग्गज

एसटीएआई के 82 वें वार्षिक सम्मेलन पुरस्कार समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड्स से शुगर इंडस्ट्री के दस लोगों को सम्मानित किया गया था। उल्लेखनीय उपलब्धियाँ, उत्कृष्ट योगदान और उत्कृष्टता के प्रति अटूट समर्पण ने इन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में दिग्गज के रूप में स्थापित किया है। इन अनुकरणीय उपलब्धियों वाले शख्सियत में शामिल हैं।

■ जयप्रकाश राव. एस.

दांडेगांवकर

अध्यक्ष, पूर्णा सहकारी साखर कारखाना लिमिटेड

■ संभाजी कडुपाटिल

महानिदेशक, वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट, पुणे शुगर इंस्टीट्यूट

■ चिन्नप्पन एन

कार्यकारी निदेशक, धनलक्ष्मी श्रीनिवासन शुगर्स प्राइवेट लि.

■ प्रो. डी. स्वैन पूर्व निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा

संस्थान, कानपुर

■ बाजीराव तुकाराम पावसे

कार्यकारी निदेशक, करमयोगी अंकुशराव टोपे समर्थ एसएसके लि.

■ संजय जैन

प्रबंध निदेशक, डिफटेक ग्रुप इंडिया,

■ अवतार सिंह

मेसर्स सिनो-पीसीपी पंप्स प्राइवेट लिमिटेड

■ एन. गोपालकृष्णन

महासचिव, सिस्टा चेनई

■ अनिल कुमार शाह

मुख्य कार्यकारी, शुगर कॉरपोरेशन ऑफ युगांडा

■ संजय अवस्थी

अध्यक्ष एसटीएआई नई दिल्ली

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