द इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) सरकार से चीनी निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा है, इससे चीनी मिलों की वित्तीय तरलता बढ़ेगी और किसानों को समय पर भुगतान हो सकेगा। त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज तरुण साहनी लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने कहा है कि भारत के लिए चीनी निर्यात करना घरेलू बाजार में बेचने से ज़्यादा फायदेमंद है, भले ही मौजूदा कीमतों में अंतर हो। उन्होंने एक पोर्टल के साथ बातचीत में कहा कि न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि उद्योग की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। 2019 से एमएसपी अपरिवर्तित रहा है, जबकि इनपुट लागत, विशेष रूप से गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) काफी बढ़ गया है, जो अब ₹340 प्रति क्विंटल है। यह विसंगति उद्योग की लाभप्रदता को कम करती है और किसानों को भुगतान करने में बाधा डालती है। बढ़ती चीनी खपत और उच्च घरेलू उत्पादन अनुमानों को देखते हुए, एएसपी को एफआरपी के साथ संतुलित करना अनिवार्य है। यह संतुलन उद्योग को स्थिर करेगा, किसानों के हितों की रक्षा करेगा और चीनी की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। जिसका अंततः लाभ उपभोक्ताओं को होगा।
उन्होंने कहा कि उद्योग ने मई 2024 में 15 प्रतिशत की एथेनॉल मिश्रण दर हासिल कर ली है और 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य हासिल करने के लिए ट्रैक पर है। एक साल से भी कम समय में ई- 20 की उपलब्धता भी बढ़कर 12,000 आउटलेट हो गई है। एक कदम आगे बढ़ते हुए, सरकार ने 183 इंडियन ऑयल स्थानों पर ई- 100 शुरू किया है। ये प्रयास 2025-26 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति दर्शाते हैं। त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड में हमारी दीर्घकालिक रणनीति भारत के एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम और आत्मनिर्भरता यात्रा में एक सक्रिय भागीदार बनकर अल्कोहल व्यवसाय को बढ़ाना है। हमने हाल ही में रानी नांगल में अपनी चीनी इकाई में 200 केएलपीडी मल्टी-फीड डिस्टिलरी चालू की है, जिससे हमारी कुल आसवन क्षमता बढ़कर 860 केएलपीडी हो गई है।