यमुनानगर जिले में गन्ने का रकबा बढ़ाने के लिए सरस्वती चीनी मिल ने किसानों को गन्ना लगाने पर प्रति एकड़ की दर से ५००० रुपये अनुदान राशि देने का फैसला किया है। साथ ही विभिन्न कीटनाशकों पर भी २० प्रतिशत अनुदान, गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों की रोकथाम के लिए किसानों को ट्रैप व लियोर (कैप्सूल) मुफ्त देने का ऐलान किया है। मिल के इस पहल का गन्ना किसानों ने स्वागत किया है। प्रदेश की अन्य मिलें भी सरस्वती मिल के नक्शेकदम पर चलने की संभावना है। ‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक पेराई सीजन वर्ष २०२४-२५ में सरस्वती मिल ने गन्ना उत्पादक किसानों को
विशेष सुविधाएं देने का फैसला लिया है। मिल के एमडी आदित्य पुरी की बेटी नैना पुरी की उपस्थिति में १९ अप्रैल को मिल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.के. सचदेवा ने इस योजना की शुरुआत की। एसके सचदेवा ने कहा कि किसान हर साल जो गन्ना बिजाई करते हैं, यदि वह अब उससे ज्यादा रकबा में गन्ना लगाते हैं, तो बढ़े हुए क्षेत्र पर ५००० रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जाएगा। किसान जितना चाहे गन्ना लगा सकते हैं, प्रति एकड़ अनुदान की कोई लिमिट नहीं है। इसके अलावा विभिन्न कीटनाशकों पर २० प्रतिशत की दर से अनुदान व मिल से निकलने वाली मैली और गन्ने में लगने वाली बीमारी टॉप बोरर की रोकथाम के लिए ट्रैप व कैप्सूल मुफ्त दिए जाएंगे। इन योजनाओं का लाभ किसान तभी ले सकता है, जब वह ८५ प्रतिशत गन्ना सरस्वती मिल को देंगे। इसके लिए किसानों को शुगर मिल में अपना पंजीकरण कराना होगा। २२ अप्रैल से पंजीकरण शुरू हो जाएगा।
सचदेवा ने बताया कि सीजन २०२३-२४ में जिन किसानों ने ८५ प्रतिशत से अधिक गन्ना सप्लाई किया है उन्हें लक्की ड्रा के माध्यम से करीब आठ लाख रुपये के पुरस्कार दिए जाएंगे। यह योजना सीजन २०२४-२५ में गन्ना उत्पादन का ८५ प्रतिशत से अधिक सप्लाई करने वाले किसानों पर लागू रहेगी। गन्ने की कमी के चलते इस बार सरस्वती मिल समय से पहले ही बंद हो गई थी। गन्ना उत्पादकों को हुआ ५०० करोड़ का नुकसान गन्ना उत्पादक किसानों को इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में ५०० करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। हरियाणा की सभी १४ शुगर मिलों को इस बार पिछले साल की अपेक्षा गन्ना कम सप्लाई हुआ है। शुगर मिलों को भी इससे काफी नुकसान हुआ है। इससे आने वाले समय में चीनी पर भी प्रभाव देखने को मिलेगा। प्रदेश की जो शुगर मिल हर साल मई जून तक चलती थी वह गन्ना न मिलने के कारण बंद हो चुकी हैं। गन्ना में कीट पतंगे व बीमारियों के कारण गन्ने की पैदावार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष हरियाणा में १५० लाख क्विंटल गन्ना कम हुआ है। हरियाणा की अधिकतर शुगर मिलें कुछ मार्च में और कुछ बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में बंद हो गई हैं, जो पहले जून के प्रथम सप्ताह तक चलती थी। लेकिन इस बार जहां किसानों को ५०० करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है वहीं शुगर मिल भी इस नुकसान से अब बच नहीं पाई।