सिमरनजीत सिंह-शाहजहांपुर : धान और गेहूं की फसल के अलावा किसान गन्ने की फसल भी एक बड़े क्षेत्रफल में करते हैं. वर्ष में दो बार गन्ना बोया जाता है. शरदकालीन या फिर बसंतकालीन गन्ने की बुवाई की जाती है. लेकिन कई बार किसान अप्रैल और मई के महीने में भी गन्ने की बुवाई करते हैं. जिसमें गन्ने का जमाव बेहद कम रहता है. कल्ले कम निकलते हैं. जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि 30 अप्रैल के बाद गन्ने की बुवाई नहीं करनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक डॉ. श्री प्रकाश यादव ने बताया कि शरदकालीन गन्ने की बुवाई अक्टूबर और नवंबर महीने में की जाती है. जबकि बसंतकालीन गन्ने की बुवाई फरवरी से लेकर मार्च तक की जाती है. फिर भी जो किसान देरी तक गन्ने की बुवाई करते हैं तो वह 30 अप्रैल तक गन्ने की बुवाई कर सकते हैं. इसके बाद गन्ने की बुवाई करने से किसानों को नुकसान हो सकता है.
भूल कर भी किसान न करें ये गलती
डॉ. श्री प्रकाश यादव ने बताया कि गेहूं की कटाई यानी 30 अप्रैल के बाद गन्ने की बुवाई ना करें. कुछ तेजी से बढ़ने वाली किस्में हैं जो 30 अप्रैल तक बोई जा सकती हैं. इसमें कोशा 13235 और कोशा 15023 जो तेजी के साथ बढ़वार करती हैं और देरी को कवर कर लेती हैं. डॉ श्री प्रकाश यादव ने बताया कि अगर 30 अप्रैल के बाद गन्ने की बुवाई करते हैं. किसानों को जमाव कम मिलेगा. कल्ले बनने में 2 महीने का ही वक्त मिलेगा. जबकि कल्ले को करीब 3 महीने का वक्त मिलना चाहिए. साथ ही कल्लों की संख्या भी कम रहेगी. जिससे उत्पादन कम होगा. इसके अलावा चीनी मिल को भी चीनी की रिकवरी कम मिलेगी.