अखंड प्रताप सिंह/कानपुर: देश में बड़ी संख्या में किसान गन्ना का उत्पादन करते हैं, लेकिन जो गन्ने का रेट है वह फिक्स रहता है. ऐसे में किसानों के सामने काफी समस्या होती है. क्योंकि उन्हें अधिक मूल्य नहीं मिल पाता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि अभी तक गन्ने का इस्तेमाल सिर्फ शक्कर बनाने में होता था लेकिन जो शक्कर बनने के बाद इसमें नॉन फूड बायोमास बचता है. इसके साथ ही खेतों में जो खरपतवार बचती है. इन सब के जरिए अब अलग-अलग प्रोडक्ट इंडस्ट्री में ही बनाए जाएंगे. जिससे किसानों को भी सीधा लाभ होगा. इतना ही नहीं कई ऐसे प्रोडक्ट हैं, जो देश में आयात होते हैं, जिसमें यूरिया, पॉली एथिनिल, एथेनॉल ,पेपर शामिल है. यह इसी नॉन फूड बायोमास से तैयार किए जा सकेंगे.
नॉन फूड बायोमास से तैयार होंगे खास प्रोडक्ट
कानपुर में स्थित नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में लगातार गन्ना और शुगर को लेकर शोध किए जाते हैं. शुगर इंडस्ट्री में कैसे नए-नए प्रोडक्ट तैयार किया जा सके, इसपर काम किया जाता है. इसी क्रम में अब शुगर इंडस्ट्री में शक्कर के साथ अन्य उत्पादों को भी तैयार करने के लिए कवायद शुरू की गई है. जिसमें अब जो गन्ने से शुगर निकालने के बाद बायोमास बच जाता है, उस बायोमास से शक्कर से भी कीमती प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. जिसमें बायोमास से यूरिया ,पेपर ,इथेनॉल पाली एथिलीन समेत कई प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. ऐसे में जहां शुगर इंडस्ट्री में शक्कर के साथ यह प्रोडक्ट तैयार होंगे, तो इंडस्ट्री को भी फायदा होगा और किसानों को भी इसका फायदा होगा. क्योंकि अभी तक गन्ने के रेट उनको एक फिक्स अमाउंट ही मिलते थे.