Kanpur News: एनएसआई में जैव योजना के संसाधनों पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें प्रोफेसर स्वेन ने कहा कि चीनी उद्योग को चीनी की मांग-आपूर्ति को संतुलित करने और जैव-आधारित उत्पादों, हरित प्रौद्योगिकियों के लिए एक आशाजनक केंद्र के रूप में उभरने की दिशा में तत्पर रहना होगा।
नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) में जैव ऊर्जा के लिए संसाधनों की योजना और अनुकूलन विषय पर आयोजित सेमिनार में कहा गया कि गैर खाद्य उत्पादों से भी इथेनॉल बनाया जाए। इससे पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण की योजना का लक्ष्य पूरा होगा। एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर डी. स्वेन ने कहा कि चीनी उद्योग से प्राप्त फीड स्टॉक और अनाज का उपयोग करके लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।
इसके अलावा सफेद चीनी के स्थान पर कच्ची चीनी के उत्पादन पर जोर दिया गया। यह सेहत के लिए भी अच्छी है और किफायती होती है। एनएसआई में कार्यक्रम का आयोजन एशियन एसोसिएशन ऑफ शुगरकेन टेक्नोलॉजिस्ट और स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेज के सहयोग से किया गया। निदेशक प्रोफेसर स्वेन ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की।
प्रोफेसर स्वेन ने कहा कि चीनी उद्योग को चीनी की मांग-आपूर्ति को संतुलित करने और जैव-आधारित उत्पादों, हरित प्रौद्योगिकियों के लिए एक आशाजनक केंद्र के रूप में उभरने की दिशा में तत्पर रहना होगा। वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के महानिदेशक संभाजी के. पाटिल ने कहा कि चीनी उद्योग भविष्य के लिए ईंधन ग्रीन हाइड्रोजन का एक अच्छा संभावित स्रोत हो सकता है।
राजस्व को बढ़ाने में साबित हो सकती है वरदान
प्रोफेसर एवं जैव रसायन विभागाध्यक्ष डॉ. सीमा परोहा ने कहा कि बॉयो-गैस/सीबीजी के उत्पादन के लिए फिल्टर केक का उपयोग जैव-ऊर्जा और चीनी कारखानों के राजस्व को बढ़ाने में एक वरदान साबित हो सकती है। यह समय की मांग भी है। इस मौके पर एशियन एसोसिएशन ऑफ शुगर केन टेक्नोलॉजिस्ट के अध्यक्ष केपी सिंह, स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेज के एमडी विवेक वर्मा, पीकेएन सिंह, एसके त्रिवेदी, अशोक गर्ग आदि मौजूद रहे।