देश में कई प्रकार की भ्रांतियों और स्वास्थ्य वर्जनाओं के बावजूद चीनी की खपत बढ़ गई है। चीनी की खपत बढ़ने से उद्योग जगत में हर्ष है। विशेषज्ञ जो इस उद्योग को पुष्पित और पल्लिवत होते हुएदेखना चाहते है, उनका चीनी की गुणवत्ता के लिए कई प्रकार के सुझाव मिलते रहते हैं। पिछले कई सालों से चीनी की मांग में वह वृद्धि दर देखने को नहीं मिलती थी जिसकी उद्योग को अपेक्षा रहा करती थी। मिठास का अधिक उपभोग होना हमारे यहां परंपरा रहा है। नये नये प्रकार के स्वास्थ्यजनित शोध चीनी के उपभोग को प्रभावित करते रहते हैंं। चीनी में सल्फर की मात्रा को लेकर सबसे बड़ा आरोप लगता है। विशेषज्ञ कच्ची और भूरी (ब्राउन) चीनी के उत्पादन और इसकी उपलब्धता पर जोर देते रहे हैं। इससे जहां स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव घटता है वहीं सल्फर की समस्या नहीं होती है।
एनएसआई ने जहां चीनी की ग्रेड तैयार की है वहीं कई प्रकार के चीनी उत्पादन की तकनीकी भी उपलब्ध कराई है। चीनी उद्योग अब पारंपरिक उत्पादन से आगे बढ़कर अपने कारखानों को उत्पादन हब के रूप में परिवर्तित करने की ओर अग्रसर है। चीनी उद्योग गैर पारंपरिक ऊर्जा, उर्वरक और विपणन के केन्द्र के रूप में स्थापित होने जा रहे हैंं। गैर पारंपरिक ऊर्जा के अंतर्गत चीनी उद्योग सबसे पहले विद्युत उत्पादन में कदम बढ़ाये थे परंतु आर्थिक रूप से यह फायदे का उत्पादन नहीं बन पाया था क्योंकि दूसरे दााोत की अपेक्षा चीनी मिलों की लागत अधिक आती है। एथेनॉल उत्पादन जैसे-जैसे आगे बढ़ा उसके साथ ही कई प्रकार के गैस सीएनजी, पीएनजी आदि ने उसे विस्तार दे दिया है। चीनी मिलों के वैâम्पस में जल्द ही इन ईंधनों के रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन भी देखने को मिलेंगे। गन्ने की खेती में दो-तीन तथ्य महत्वपूर्ण होते हैं। गन्ने का बीज, उसकी उत्पादकता और चीनी की रिकवरी दर महत्वपूर्ण तथ्य है। उत्तर प्रदेश में गन्ना बीज बदलाव एक बार फिर से संक्रमण काल से गुजर रहा है। गन्ना किस्म को.०२३८ का व्यापक क्षेत्रफल अब नये उन्नत किस्म के बीज से प्रत्यर्पित होकर तेजी से घट रहा है। इस किस्म से लाभान्वित होने के बाद अब घाटा उठाना पड़ रहा है। गन्ना फसल में अब श्रमिकों की बड़ी समस्या देखने को मिल रही है। कृषि उपकरण तैयार करने वाली कंपनियों के साथ वैज्ञानिक कृषि कार्य हेतु नये-नये उपकरण प्रस्तुत कर रहे हैं। गन्ना की कटाई- छिलाई के लिए हारवेस्टर आने वाले समय में सभी चीनी मिलों के सहयोग से गन्ना खेतों में देखने को मिलेंगे।
उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में भले ही पीछे है लेकिन गन्ना मूल्य भुगतान के लिए सरकारी प्रयास आगे ही रहता है। वर्तमान सरकार अपने दोनो कार्यकाल में कुल मिलाकर २.५ लाख करोड़ का अब तक गन्ना भुगतान करा चुकी है। चीनी उत्पादन अनुमान सटीक न होने के कारण सरकार और उद्योग दोनों को अपनी नीतियां बनाने में कठिनाई होती है। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार खेती में एआई और स्टार्टअप को लेकर बड़े स्तर पर योजना बना रही है। आने वाले समय में किसानों को तकनीकी के प्रयोग से जहां आर्थिक स्तर पर लाभ होगा वहीं कृषि में विविधता देखने को मिलेगी। चीनी उद्योग जहां नये उत्पादन पर फोकस कर रहे हैं वहीं उन्हें चीनी व्यवसाय से सम्बन्धित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चीनी द्योग के भविष्य को देखते हुए विभिन्न बदलाव का विशेषज्ञ समर्थन करते हैं। सरकार की आम उपभोक्ताओं के लिए सस्ती चीनी उपलब्ध कराने का उद्देश्य चीनी मूल्य में द्वैत मूल्य नीति को अपनाकर पूरा हो सकता है