मौसम गर्म होने के साथ ही शीतल और मीठे पेय पदार्थों का सेवन बढ़ते ही चीनी की खपत में इजाफा हुआ है, जिसके नतीजे में चीनी का दाम भी बढ़ गया है. पिछले 2 सप्ताह में चीनी की कीमतें 4.5 फीसदी बढ़ीं हैं, जबकि दाम अभी और ऊपर जाने की आशंका जताई जा रही है.
मौसम की तल्खी और तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ ही चीनी की मांग में भी उछाल दर्ज किया गया है. इसके चलते दो सप्ताह में ही चीनी की कीमत में 4-5 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया गया है. अनुमान है कि अगले दो सप्ताह में कीमतों में और बढ़त देखने को मिल सकती है. वहीं, 15 अप्रैल तक बीते साल की तुलना में 2 लाख टन कम चीनी उत्पादन दर्ज किया गया है, जो चीनी की सुचारू आपूर्ति के लिए परेशानी का कारण बन सकता है.
सरकारी चीनी आवंटन बढ़ाने का लाभ नहीं
गर्मी का असर चीनी की कीमतों पर दिखने लगा है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो हफ्तों में चीनी की कीमतें लगभग 4.5 फीसदी बढ़ गई हैं. इसकी वजह गर्मी बढ़ने से शीतल पेय और आइसक्रीम कंपनियों की ओर से चीनी की मांग बढ़ रही है. सरकार ने अप्रैल के लिए अधिक बिक्री कोटा आवंटित किया है, इसके बावजूद कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. केंद्र सरकार चीनी बिक्री के लिए प्रत्येक चीनी मिल को मासिक कोटा आवंटित करती है. फरवरी के लिए कोटा 2.2 मिलियन टन था, जिसे मार्च के लिए बढ़ाकर 2.3 मिलियन टन और अप्रैल के लिए 2.5 मिलियन टन कर दिया गया है.
कंपनियों ने चीनी की मांग बढ़ाई
देश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान 42-44 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने के साथ शीतल पेय और आइसक्रीम कंपनियों को उम्मीद है कि इस साल भीषण गर्मी के चलते उनकी बिक्री बढ़ेगी. कुछ मौसम रिपोर्ट में बीते साल की तुलना में अधिक तापमान रहने की भविष्यवाणी की गई है. ऐसे में कंपनियों व्यापार में बढ़ोत्तरी की संभावनाओं को देखते हुए अभी से चीनी की अधिक खरीद शुरू कर दी है. क्योंकि, आइसक्रीम, छाछ और लस्सी, दही जैसे प्रोडक्ट में इसका उपयोग किया जाता है. वहीं, शादियों के मौसम के चलते मिठाइयों में चीनी के इस्तेमाल के चलते खपत बढ़ी है.
मांग बढ़ी पर उत्पादन 2 लाख टन घटा
भारतीय चीनी और बॉयो एनर्जी निर्माता संघ (ISMA) के अनुसार चीनी सीजन 2023-24 के तहत 15 अप्रैल तक शुद्ध चीनी उत्पादन 310.93 लाख टन दर्ज किया गया है, जो पिछले साल इसी तारीख को 312.38 लाख टन था. इस हिसाब से करीब 2 लाख टन कम चीनी का उत्पादन रहा है. प्रमुख उत्पादन करने वाले 5 राज्यों में यूपी और महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन पिछली बार की तुलना में अधिक रहा है. जबकि, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों में अप्रैल 2024 तक का चीनी उत्पादन बीते साल की समान अवधि के उत्पादन से कम दर्ज किया गया है. अधिक मांग के बीच चीनी उत्पादन में गिरावट कीमतों को और ऊपर ले जा सकती हैं.