उत्तर प्रदेश में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 1.50 बिलियन लीटर से अधिक इथेनॉल का उत्पादन किया गया था। प्रदेश की इथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र भी उत्सुक है। यूपी के इथेनॉल क्षेत्र में 6,772 करोड़ रुपये का नया निजी निवेश आया है। जानिए क्या है योजना…
उत्तर प्रदेश (UP) में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 1.50 बिलियन लीटर से अधिक इथेनॉल (Ethanol) का उत्पादन किया गया था। प्रदेश में इथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र भी उत्सुक है। यूपी के इथेनॉल क्षेत्र में 6,772 करोड़ रुपये का नया निजी निवेश आया है।
क्या है योजना
निजी निवेशक यूपी में 1.06 बिलियन लीटर की अतिरिक्त इथेनॉल उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए 26,772 करोड़ रुपये की सुविधाओं का निर्माण कर रहे हैं। यह जानकरी बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी का हवाला देते हुए दी गई है।
सीएम योगी के निर्देश
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अधिकारियों से इथेनॉल मिश्रण बढ़ाने के प्रयासों में तेजी लाने को कहा है। बता दें कि इथेनॉल का उत्पादन गन्ने और खाद्यान्न दोनों से किया जा सकता है। इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा के साथ ग्रामीण आय को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।
गन्ना भविष्य का हरा सोना
गन्ने की इथेनॉल उत्पादन में भूमिका के कारण इसे भविष्य का हरा सोना भी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में लगभग 50 लाख ग्रामीण परिवार गन्ना उत्पादन करते हैं। इन उत्पादों को प्रदेश की 122 चीनी मिलों द्वारा साला भुगतान 34,000 करोड़ से अधिक है। इसके आलावा उत्तर प्रदेश की कुल गन्ना अर्थव्यवस्था 50,000 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।
यूपी में गन्ना क्षेत्र के लिए 5 साल की रणनीति
यूपी सरकार ने गन्ना क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए 5 साल की रणनीति भी लागू की है। इस रणनीति के तहत मिलों का आधुनिकीकरण, डिस्टिलरी स्थापित करना, सल्फर मुक्त चीनी का उत्पादन, गन्ने की उपज में बढ़ोतरी, रकबे में विस्तार और चीनी की रिकवरी दर में सुधार करना शामिल है। 2024-25 में, यूपी में मिलों द्वारा गन्ना बकाया 34,466 करोड़ का लगभग 84 प्रतिशत हिस्से का भुगतान किसानों को किया जा चुका है।
केंद्र का इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यूपी में 2023-24 के दौरान 102 चालू डिस्टिलरी से 1.50 बिलियन लीटर से अधिक इथेनॉल का उत्पादन मिला था। पारंपरिक ईंधन के लिए हरित विकल्प के रूप में इथेनॉल को पेट्रोलियम उत्पादों के साथ मिलाया जाता है। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक 20 प्रतिशत से अधिक मिश्रण अनुपात हासिल करना है।