चंडीगढ़ : चूंकि खाद्य उत्पादों की खराब होने की प्रवृत्ति ने खाद्य से संबंधित उद्यमियों के लिए दूर के बाजारों तक पहुंचने और लाभकारी मूल्य प्राप्ति के मामले में चुनौतियां पेश कीं, इसलिए खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित गन्ना जूस बॉटलिंग तकनीक उपर्युक्त चुनौती का एक शक्तिशाली समाधान थी। इसे ध्यान में रखते हुए, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने ओडिशा के डांगापाल में ‘ऐश उद्योग’ ब्रांड चलाने वाले उद्यमी अजीत कुमार बेहरा के साथ समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए। पीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ एएस धत्त ने बेहरा के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
पीएयू के कुलपति डॉ सतबीर सिंह गोसल और डॉ धत्त ने पूरे भारत में किसानों और औद्योगिक हितधारकों के साथ इस तकनीक को साझा करने के लिए प्रमुख खाद्य प्रौद्योगिकीविद् डॉ पूनम ए सचदेव के ठोस प्रयासों की सराहना की।डॉ. सचदेव ने बताया कि, गन्ने के रस को सूक्ष्मजीवों को मारने और शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए थर्मली प्रोसेस किया जाता है।उन्होंने कहा कि, इस प्रोसेसिंग से सड़क किनारे बिकने वाले विक्रेताओं की तुलना में पूरी तरह से स्वस्थ और स्वच्छ उत्पाद मिलता है।उन्होंने कहा कि बोतलबंद गन्ने की शेल्फ लाइफ बढ़ने से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उत्पाद बेचने के रास्ते खुल गए हैं।
पीएयू के प्रौद्योगिकी विपणन और बौद्धिक संपदा अधिकार (टीएमएंडआईपीआर) सेल के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. खुशदीप धरनी ने बताया कि गन्ने के रस की बोतलबंदी तकनीक उद्यमियों के बीच लोकप्रिय हो रही है और अब तक पीएयू ने इस तकनीक को जमीनी स्तर पर प्रसारित करने के लिए 24 एमओए पर हस्ताक्षर किए हैं।उन्होंने कहा कि, टीएमएंडआईपीआर सेल ने विश्वविद्यालय में उत्पन्न ज्ञान को साझा करने के लिए कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और अन्य संबद्ध क्षेत्रों के संबंधित हितधारकों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने का प्रयास किया है।इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान (कृषि) डॉ. जीएस मंगत; अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान (कृषि-इंजीनियरिंग) डॉ. जीएस मानेस और खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख डॉ. सविता शर्मा भी मौजूद थीं।