सरकार द्वारा चीनी को एथेनॉल उत्पादन की ओर मोड़ने पर अचानक लगाए गए प्रतिबंधों के कारण पिछले वर्ष उद्योग को बड़ा झटका लगा है। श्री रेणुका शुगर्स के कार्यकारी निदेशक और उप सीईओ तथा सिस्मा (कर्नाटक) के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह ने एक साक्षात्कार में बताया कि हम उम्मीद करते हैं कि, नई सरकार उद्योग को तत्काल आश्वासन देगी कि एथेनॉल मिश्रण नीति (ईबीपी) आगामी सीजन मे पूरी तरह से जारी रहेगी ताकि उद्योग डिस्टिलरी के विस्तार और रखरखाव में निवेश करना जारी रखे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि, अगले चीनी सीजन 2024-25 में चीनी मिलें ईबीपी की जरूरत के अनुसार एथेनॉल का उत्पादन करें। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चीनी का भंडार बढ़ गया है जिससे उद्योग पर अतिरिक्त ब्याज का बोझ पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ समय से चीनी के एमएसपी में संशोधन नहीं किया गया है। हालांकि, अगले साल के लिए 8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एफआरपी मूल्य की घोषणा की गई है। इससे उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य में अंतर पैदा हो गया है. जिससे उद्योग के सामने वित्तीय तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। मुझे लगता है कि, चीनी के एमएसपी को गन्ने के एफआरपी और मुद्रास्फीति के अनुरूप बढ़ाया जाना चाहिए ताकि उद्योग स्वस्थ रहे और किसानों को समय पर गन्ना भुगतान जारी रहे। उन्होंने बताया कि ईबीपी को सभी हितधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए पूरी क्षमता से काम करना चाहिए। इसके अलावा, ईबीपी की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय किए जाने की आवश्यकता है। सरकार को निवेशकों और एथेनॉल उत्पादकों के लिए मूल्य स्थिरता और पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए एथेनॉल ऑफटेक कीमतो की घोषणा करनी चाहिए। उन्हें एफआरपी मूल्य संशोधनों के साथ-साथ एथेनॉल मूल्य वृद्धि के लिए एक तंत्र बनाना चाहिए। इससे ईबीपी में निवेशको का विश्वास वापस आएगा। वर्तमान एथेनॉल मिश्रण दर 12% तक पहुंच गई है और अगले वर्ष 15% तक पहुँचने का अनुमान है। हालाँकि, 20% या उससे अधिक की और वृद्धि हासिल करने के लिए, फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की तत्काल शुरूआत आवश्यक है। इसलिए फ्लेक्स फ्यूल वाहनों के उत्पादन और बिक्री को अनिवार्य बनाने के लिए नीतियाँ शुरू करने की आवश्यकता है, जो उच्च एथेनॉल मिश्रणों (ई20 और उससे अधिक) पर चल सकते हैं। एथेनॉल के रेल परिवहन सहित एथेनॉल उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है। सरकार को एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की स्वीकृति को प्रोत्साहित करने के लिए एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल पर कुछ कर प्रोत्साहन या करों में कटौती पर भी विचार करना चाहिए, जिससे देश को कई लाभ होंगे।
शक्ति शुगर्स की नेट प्रॉफिट में आई गिरावट
शक्ति शुगर्स लिमिटेड ने 29 मई को 31 मार्च, 2024 को समाप्त चौथी तिमाही और पूरे वर्ष के लिए अपने वित्तीय नतीजों की घोषणा की है। मार्च 2024 में परिचालन से कुल आय 298.8 करोड़ रुपये रही, जबकि मार्च 2023 में यह 326.7 करोड़ रुपये थी। मार्च 2023 में 219 करोड़ रुपये की तुलना में मार्च 2024 में तिमाही नेट प्रॉफिट लगभग 107 करोड़ रुपये रहा।
मार्च 2023 में 18.51 रुपये की तुलना में मार्च 2024 में शक्ति शुगर्स का बेसिक और डायल्युटेड ईपीएस घटकर 9.05 रुपये रह गया। मार्च 2024 को समाप्त वर्ष में पूरे वर्ष के लिए नेट प्रॉफिट 129 करोड़ रुपये रहा, जबकि मार्च 2023 को समाप्त पिछले वर्ष में यह 417 करोड़ रुपये था। परिचालन से कुल आय घटकर 12.5 करोड़ रुपये रह गई। मार्च 2024 को समाप्त वर्ष में 1,069 करोड़ रुपये, जबकि मार्च 2023 को समाप्त पिछले वर्ष के दौरान 1,075 करोड़ रुपये थे।
श्री रेणुका शुगर्स को चौथी तिमाही में हुआ घाटा
श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड ने 31 मार्च चौथी तिमाही में 111.7 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में उसे 44.6 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। कंपनी को यह घाटा अधिक व्यय के कारण हुआ है। जनवरी-मार्च की अवधि में चीनी उत्पादक की कुल आय एक साल पहले के 2.370 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,476.3 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने 30 मई को एक नियामक फाइलिंग में बताया है कि कुल व्यय पिछले साल की समान अवधि के 2,319.6 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,520.4 करोड़ रुपये हो गया।
श्री रेणुका ने इस दौरान 65.1 करोड़ रुपये का आस्थगित कर व्यय और 25.1 करोड़ रुपये का गना व्यय किया। 31 मार्च, 2024 तक श्री रेणुका की मौजूदा देनदारियाँ 2,562.8 करोड़ रुपये की मौजूदा परिसंपत्तियों से अधिक हो गईं और समूह की नकारात्मक शुद्ध संपत्ति 1,437.4 करोड़ रुपये थी। प्रबंधन का मानना है कि वह समय पर सभी वित्तीय दायित्वों को पूरा करेगा। श्री रेणुका शुगर्स भारत की सबसे बड़ी चीनी, हरित ऊर्जा और चीनी रिफाइनर में से एक है।