Lucknow, 30th Sept 2021- भाकृअनुप – भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में हिंदी पखवाड़ा 14 से 29 सितंबर, 2021 के मध्य आयोजित किया गया।
पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजयी प्रतिभागियों को संस्थान के प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह में आज पुरस्कृत किया गया।
पुरस्कार वितरण समारोह में संस्थान के निदेशक डॉ. अश्विनी दत्त पाठक; अजय कुमार साह, राजभाषा प्रभारी तथा सभी विभागाध्यक्ष मंच पर उपस्थित थे।
राजभाषा के पुरस्कार वितरण समारोह में संस्थान के 80 विभिन्न कार्मिकों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार के लिए प्रमाण पत्र एवं पारितोषिक राशि के रूप में कुल लगभग 1.25 लाख रुपए संस्थान के निदेशक, डॉ. अश्विनी दत्त पाठक ने प्रदान किए।
इस अवसर पर राजभाषा प्रभारी, डॉ. अजय कुमार साह ने पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों तथा प्रतियोगिताओं एवं संस्थान द्वारा राजभाषा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
आयोजित प्रतियोगिताओं जैसे- यूनिकोड में हिंदी टंकण, टिप्पणी एवं परिपत्र लेखन, आज़ादी का अमृत महोत्सव एवं भाकृअनुप के शताब्दी समारोह पर निबंध लेखन, आज़ादी का अमृत महोत्सव एवं भाकृअनुप के शताब्दी समारोह पर स्लोगन लेखन, संस्थान के 70 वर्षों की विकास यात्रा की गाथा का पावरपॉइंट प्रस्तुतीकरण, मिठास ट्राफी, इक्षु लेख, वर्ष भर में किए गए हिंदी कार्य की समीक्षा, अंत्याक्षरी इत्यादि में संस्थान के 100 से अधिक कार्मिकों ने भाग लिया।
पखवाड़े के अंतर्गत एक व्याख्यान कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग के डॉ. सौरभ मालवीय, विशेषज्ञ, समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय, बेसिक शिक्षा निदेशालय, लखनऊ ने भारतीय समाज: विविधता, अननेकता एवं एकात्मकता विषय पर एक व्याख्यान दिया गया।
पखवाड़े में एक हिंदी कार्यशाला का भी आयोजन किया गया जिसमें डॉ. अमिता दुबे, संपादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ ने राजभाषा के प्रयोग की व्यापकता विषय पर व्याख्यान देते हुए कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों से हिन्दी में अधिकाधिक कार्य करने का अनुरोध किया।
इस पखवाड़े में एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ जिसमें देश-प्रदेश के आठ प्रतिष्ठित कवियों (श्री राम किशोर त्रिपाठी, श्री सुदीप भोला, श्री अशोक झंझटी, डॉ. मानसी द्विवेदी, श्री संतोष दीक्षित, श्री पंकज प्रसून, डॉ. सुधीर शुक्ल, श्री अभिषेक सहज) ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया।