उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर द्वारा गन्ने की दो नई किस्म रिलीज की गई हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव कुमार पाठक ने बताया कि लखनऊ स्थित गन्ना आयुक्त कार्यालय के सभागार में ‘बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उप समिति’ की बैठक का आयोजन किया गया था।
बैठक में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर द्वारा प्रस्तावित गन्ना किस्म को. शा. 19231 और को. से. 17451 के उपज और गन्ने में शर्करा के आंकड़े प्रस्तुत किए गए। इस बैठक में प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र के किसान और चीनी मिल प्रतिनिधि शामिल हुए। इसके बाद इन दो नई किस्म को रिलीज किया गया।
गन्ने की नई किस्म को. शा. 19231 को पूर्व में प्रचलित गन्ना किस्म को. शा. 95422 के पालीक्रॉस की मदद से शाहजहांपुर गन्ना शोध संस्थान में विकसित किया गया।
आंकड़ों के अनुसार गन्ने की इस किस्म की औसत उपज 92.05 टन प्रति हेक्टेयर और जनवरी महीने में रस में 17.85 प्रतिशत चीनी और गन्ने में 13.20 प्रतिशत चीनी परता पाया गया है। प्रति हेक्टेयर गन्ने की फसल से 12.23 टन चीनी उत्पादन दर्ज किया गया।
गन्ने की नई किस्म को. शा. 19231 का गन्ना मध्यम मोटा, ठोस और इसकी पोरी लंबे आकार की होती है। इसके गूदे में मध्य महीन छिद्र और अगोले पर हल्के रोए पाए जाते हैं। यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति रोगरोधी है। गन्ने की नई किस्म को.शा. 19231 को अगेती बुवाई के लिए बेहतर माना जा रहा है। वहीं इसकी बुवाई पूरे उत्तर प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है। इसके अलावा को.शा. 17451 गन्ने की किस्म को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए रिलीज किया गया है। यह किस्म भी अगेती फसल बुवाई के लिए किसानों के लिए बेस्ट है।
गन्ना उपज पूर्वानुमान का सॉफ्टवेयर हुआ लॉन्च
लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने अपने 74वें स्थापना दिवस के अवसर पर 14 फरवरी को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने भाकृअनुप-आईएआरआई, नई दिल्ली के साथ
स्थापना दिवस Foundation Day
मिलकर इक्षु-केन नाम का एक अत्याधुनिक मॉडल विकसित किया है। यह मॉडल गन्ने की फसल की वृद्धि और उपज का सटीक पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है।
डॉ. सूरा नरेश कुमार के अनुसार, इक्षु-केन एक प्रक्रिया आधारित मॉडल है जो कई महत्वपूर्ण कारकों पर आधारित है। यह मिट्टी के गुण, जल उपलब्धता, नाइट्रोजन की मात्रा, प्रकाश संश्लेषण और चीनी संचय पैटर्न जैसे पहलुओं को ध्यान में रखता है। मॉडल दैनिक मौसम परिवर्तनों के प्रभाव को भी आंकता है। संस्थान के निदेशक डॉ. आर विश्वनाथन ने बताया कि यह मॉडल देश के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली सभी प्रकार की गन्ना फसलों के लिए उपयोगी साबित होगा।
इससे न केवल शोधकर्ताओं को लाभ होगा, बल्कि किसानों और चीनी उद्योग से जुड़े सभी हितधारकों को भी फायदा पहुंचेगा। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. टी. के. श्रीवास्तव ने मॉडल की आवश्यकता और इसके विकास की पृष्ठभूमि से सभी को अवगत कराया। यह मॉडल अब भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है। कार्यक्रम का समापन डॉ. संगीता श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।