Tuesday, February 4, 2025
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ऊर्जा मांग में होगी 25 प्रतिशत की वृद्धि

(टीईआरआई) और वीआईटीओ द्वारा अन्य आठ गैर-लाभकारी स्वतंत्र प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से आयोजित सातवें जी-एसटीआईसी सम्मेलन पहली बार भारत में आयोजित किया गया है। सम्मेलन में ‘सतत भविष्य और सह-अस्तित्व के लिए प्रौद्योगिकी, नीति और व्यापारिक उपायों के सामंजस्य’ विषय के अंतर्गत चुनौतियों पर विचार किया गया।

सम्मेलन के उ‌द्घाटन सत्र में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण त्रिविध समस्या-ऊर्जा वहनीयता, उपलब्धता और स्थिरता के बीच संतुलन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वैश्विक ऊर्जा की मांग बढ़ती है, भारत की अपनी ऊर्जा खपत में आज के 5.4 मिलियन बैरल प्रति दिन से 2030 तक अनुमानित 7 मिलियन बैरल प्रति दिन तक उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है। यह बढ़ती मांग भारत को वैश्विक ऊर्जा खपत में एक प्रमुख योगदान कर्ता के रूप में स्थापित करती है। अनुमानों के अनुसार अगले दो दशक में वैश्विक ऊर्जा मांग में 25 प्रतिशत वृद्धि अकेले भारत में होगी।

इस ऊर्जा संक्रमण में वहनीयता एक प्राथमिक चिंता बनी हुई है। पुरी ने सार्वजनिक परिवहन में हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी जैसे अभिनव समाधानों का उल्लेख करते हुए अनुसंधान और विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। भारत अभी 15 हाइड्रोजन-संचालित बसों का संचालन कर रहा है। ये पहल टिकाऊ परिवहन समाधानों के प्रति व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाती है जिसका कार्बन उत्सर्जन कम करने में उल्लेखनीय योगदान हो सकता है। उन्होंने अपने संबोधन में एथेनॉल मिश्रण में प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि आज यह 16 प्रतिशत हो गई है। ऊर्जा स्थिरता की दिशा में यह सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 20 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य से आगे बढ़ते हुए स्थायी ऊर्जा समाधान के लिए भविष्य में एक योजना स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है।

पेट्रोलियम मंत्री ने विकासशील देशों ऊर्जा को पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया जहां कई देश ऊर्जा आयात पर अत्यधिक निर्भर हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की एथेनॉल पहल की सफलता इन क्षेत्रों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी। हरदीप सिंह पुरी ने हाइड्रोजन की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसे भारत के ऊर्जा परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी (गेम चेंजर) बताया।

 

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