एनएसआई, कानपुर में सरकारी काम-काज में हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 17 दिसंबर को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर निदेशक, प्रो. सीमा परोहा ने कहा कि यह समय की मांग है कि हमको हिंदी भाषा को उसका गरिमामय स्थान प्रदान करना चाहिये। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा-भाषी क्षेत्रों में तो विशेष रूप से हिंदी में ही कामकाज को प्रोत्साहन दिया जाना उचित होगा, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगें। उन्होंने गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा संस्थान को प्रथम बार हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये तृतीय पुरस्कार देने की घोषणा को गर्व का विषय बताया।
प्रो. सीमा परोहा ने बताया कि संविधान निर्माण के समय कार्यालय में कामकाज में आसानी के लिये कुछ समय तक हिंदी के साथ अंग्रेजी के प्रयोग का प्रावधान किया गया था, लेकिन आज आजादी के बाद काफी लंबा समय बीत जाने पर भी स्थितियां बदली नहीं हैं। हर कार्यालय में अंग्रेजी के प्रति लगाव देखा जा सकता है। अंग्रेजी का ज्ञान बुरा नहीं है, लेकिन उसका प्रयोग जहां उचित हो वहीं किया जाना चाहिए। हिंदी भाषा-भाषी क्षेत्रों में तो विशेष रूप से हिंदी में ही कामकाज को प्रोत्साहन दिया जाना उचित होगा, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगें। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सहायक निदेशक (राजभाषा), श्रीमती मल्लिका द्विवेदी उपस्थित थीं। उन्होंने हिंदी की शब्द शक्ति, शब्दों के शुद्ध प्रयोग, शब्दों के पर्याय, शब्द सामर्थ्य आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्रीमती मल्लिका द्विवेदी ने बताया कि शब्दों का अपना संसार होता है, उनकी भी उन्नति और अवनति होती है। भाषा, विज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण विषय है, जिसका अध्ययन सभी को करना चाहिए।