Science News: जर्मन वैज्ञानिकों ने कोबाल्ट और कॉपर का इस्तेमाल करते हुए, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) से एथेनॉल बनाने का तरीका खोजा है. यह तरीका लैब में कारगर भी साबित हुआ है. इसके जरिए वायुमंडल और औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, उस कार्बन को हासिल करना अभी भी एक मुश्किल काम है. रिसर्च टीम ने अपनी खोज ACS Catalysis में छापी है.
जर्मनी की जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी में केमिस्ट और स्टडी के सह-लेखक, प्रोफेसर कार्स्टन स्ट्रेब के मुताबिक, ‘हम पर्यावरण से ग्रीनहाउस गैस CO2 को हटा सकते हैं और इसे एक स्थायी कार्बन चक्र में फिर शामिल कर सकते हैं.’ दुनियाभर के वैज्ञानिक कार्बन डाइऑक्साइड की अन्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया कराकर उसे हमारे काम आने वाले रसायनों में बदलने के लिए कई तकनीकों पर काम कर रहे हैं.
एथेनॉल का इस्तेमाल दूसरे रसायनों के लिए फीडस्टॉक या ईंधन के रूप में किया जा सकता है. ईंधन के रूप में इसका इस्तेमाल करने से CO2 वापस वायुमंडल में चली जाएगी, जिससे यह प्रक्रिया कार्बन-नेगेटिव होने के बजाय सर्कुलर हो जाएगी.
कॉपर और कोबाल्ट की जुगलबंदी ने किया कमाल
कॉपर यानी तांबे ने CO2 के साथ प्रतिक्रिया करने वाले उत्प्रेरक के रूप में अपनी क्षमता दिखाई है. यह पैलेडियम या प्लैटिनम जैसे अन्य उत्प्रेरकों की तुलना में काफी सस्ता और सुलभ है. रिसर्चर्स ने एक इलेक्ट्रोड विकसित किया, जो कोबाल्ट और तांबे के बहुत ही बारीक मिश्रण से बने पाउडर से ढका हुआ था. उन्होंने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल करके यह सुनिश्चित किया कि सतह ठीक से बनी है.
स्ट्रेब ने कहा, ‘शुरुआती चुनौती कार्बन डाइऑक्साइड को प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार करना है. अणु के परमाणुओं के बीच के बंधन बहुत मजबूत होते हैं, लेकिन कोबाल्ट उन्हें तोड़ सकता है.’ इससे कार्बन मोनोऑक्साइड बनती है, जिसे कॉपर फिर एथेनॉल में बदल देता है.
रिसर्चर्स ने CO2 से भरे वातावरण में अपने पदार्थ का टेस्ट किया. वायुमंडल में CO2 की सांद्रता बहुत कम (लगभग 420 पार्ट्स प्रति मिलियन) है. वैज्ञानिकों ने दिखाया कि इस वातावरण में, वे 80% कार्बन डाइऑक्साइड को एथेनॉल में बदलने में सक्षम थे.