शाहजहांपुर: गन्ने की फसल की बुवाई शरदकाल और बसंतकाल में की जाती है. इन दिनों किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई कर रहे हैं. शरदकालीन गन्ने की बुवाई का समय सितंबर के अंत से लेकर अक्टूबर तक होता है. इस समय बुवाई करने पर उत्पादन लगभग 20% अधिक होता है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिलता है. धान की फसल के बाद गन्ने की बुवाई करके किसान फसल चक्र का सही लाभ उठा सकते हैं लेकिन शरदकालीन गन्ने की बुवाई करते समय गन्ने की अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है. बहुत सी ऐसी किस्में है जो बसंतकाल में बुवाई से अच्छा उत्पादन देती हैं और कुछ ऐसी किस्में हैं, जिनको शरद काल में ही बोया जा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि किस्मों का चयन करते समय खास ध्यान रखें.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव कुमार पाठक बताया कि गन्ने की फसल एक बार बुवाई करने के बाद किसानों को कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक उत्पादन देती है. फसल बुवाई पर करते वक्त किस्म का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बहुत सी ऐसी किस्में हैं जिनको बसंतकाल की जगह अगर शरदकाल में बोया जाए तो वह कहीं ज्यादा उत्पादन देती है. कुछ किस्में ज्यादा समय लेती हैं, उनको शरद काल में ही बोया जाना चाहिए जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन और चीनी मिलों को अच्छा चीनी परता मिलता है.
शरदकालीन गन्ने की टॉप 5 किस्में
डॉ. संजीव कुमार पाठक ने बताया कि जो किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए अगेती को.शा. 13235 एक अच्छी किस्म है, इसके अलावा कोलख 14201 और को. 15023 को उगा सकते हैं. को 15023 का गन्ना मोटा होता है और यह अच्छी किस्म है. इसके अलावा हाल ही में फरवरी महीने में रिलीज की गई दो नई किस्म को.शा. 18231 और को.लख. 16202 शरद कालीन गन्ने की बुवाई के लिए बेहद ही उपयोगी किस्म है. नई किस्म का बीज लेने के लिए किसान उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर और भारतीय गन्ना अनुसंधान लखनऊ से बीज ले सकते हैं. बीज लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा.