मक्का एक ऐसी फसल है जिसे पूरे साल भर बोया जाता है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में मक्के की खेती की जाती है। आजकल बाजार में मक्के के बहुत अधिक दाम भी देखने को मिल रहे हैं। एथेनॉल मक्के से ही बनता है, जिसकी बाजार में बहुत डिमांड है और इसका इस्तेमाल पेट्रोल में मिलावट करके किया जाता है। मक्के की बाजार में मांग बढ़ने से किसानो का रुझान भी इसकी तरफ तेजी से बढ़ रहा है। पायोनियर सीड्स सिनेटेटा सीड्स, बायर सीड्स, अडवांटा सीड्स और धनिया सीड्स जैसी कंपनियां किसानों को बहुत ही अच्छी किस्में उपलब्ध कराती हैं। और बहुत अच्छी पैदावार भी देती हैं। 3 किस्म जो अधिकतम पैदावार देती हैं। इन सभी किस्मों को फरवरी और मार्च के महीनो में बो सकते हैं।
पी-1899 मक्का किस्म
पायोनियर सीड्स की यह पी-1899 किस्म किसानों द्वारा काफी पसंद की जाती है। इस किस्म की खास बात यह है कि एक पौधे में आसानी से दो या तीन दाने लग जाते हैं। और दोनों ही पूरी तरह से दानों से भरे होते हैं। इस किस्म का तना काफी मजबूत होता है, जो गिरने के प्रति सहनशील है। यह किस्म 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
डिकाल्ब-9208 मक्का किस्म
हेक्लब-9208 मक्का की एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे बायर क्रॉप साइंस द्वारा बनाया गया है। इस किस्म में अधिक पैदावार देने की क्षमता है। इस किस्ग के पौधे पर एक समान दाने निकलते हैं। इसके दानों का रंग नारंगी होता है। इसकी खेती आप खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में कर सकते हैं। इस किस्म की औसत पैदावार 40 से 45 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।
एडीवी-759 मक्का किस्म
एडवांटा सीइस की एडीबी-759 मक्का की किस्म भारी जमीन और सख्त इलाके के लिए सबसे अच्छी किस्म मानी जाती है। इसकी खेती खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में की जा सकती है। लेकिन खरीफ के लिए यह ज्यादा बेहतर है। इस किस्मका दाना पूरी तरह से दानों से भरा होता है। इसमें दानों का प्रतिशत भी दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा होता है। खरीफ सीजन में यह किस्म 115 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है, वहीं रबी सीजन में 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है।