एथेनॉल और एल्कोहल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने शीरा वर्ष 2024-25 के लिए शीरा नीति जारी कर दी है। प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन वीना कुमारी ने 1 नवंबर से 31 अक्तूबर तक की अवधि के लिए हर साल जारी होने वाली शीरा नीति का आदेश दिया है। शीरा नीति के अनुसार प्रदेश की प्रत्येक शुगर मिलों को कुल शीरा उत्पादन (बी-हैवी + सी-हैवी को जोड़कर) के 19 फीसदी अंश को बी-हैवी के रूप में आरक्षित करना होगा। आरक्षित 19 फीसदी बी-हैवी शीरे की आपूर्ति देशी मदिरा उत्पादन के लिए की जाएगी। बी-हैवी शीरे से प्रति कुंतल 31 ए.एल. अल्कोहल और सी-हैवी शीरे से प्रति कुंतल 22.5 ए.एल. अल्कोहल रिकवरी के आधार पर आंकलन किया जाएगा।
क्या होता है बी-हैवी और सी-हैवी शीरा
चीनी मिलों से मिलने वाला शीरा एक बाय-प्रोडक्ट है और इसमें चीनी मिक्स होती है। बी-हैवी शीरे में चीनी की मात्रा अधिक होती है। बी-हैवी शीरा बनाने से चीनी का उत्पादन भी कम होता है। वहीं सी-हैवी शीरे में बी-हैवी के मुकाबले चीनी की मात्रा बहुत कम होती है। दोनों प्रकार के शीरे का इस्तेमाल एल्कोहल / एथेनॉल बनाने में होता है।
यदि किसी कारणवश आवश्यक मात्रा में बी हैवी शीरे का सम्भरण सम्भव नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में उसके समतुल्य सी-हैवी शीरा की आपूर्ति करना होगा। ईएनए (एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल) द्वारा भी आरक्षित शीरे की आपूर्ति हो सकती है। इस हेतु एक कुं. बी हैवी शीरा, 1.38 कुं. सी-हैवी शीरा के समतुल्य माना जाएगा। एक कुं. सी हैवी शीरा 0.73 कुं. बी हैवी शीरा के समतुल्य माना जायेगा। इसी प्रकार बी हैवी शीरे से प्रति कुं. 31 ए.एल. अल्कोहल तथा सी-हैवी शीरे से प्रति कुं. 22.5 ए. एल. अल्कोहल रिकवरी के आधार पर आगणन किया जायेगा।
प्रत्येक वर्ष के 1 नवंबर से आगामी वर्ष के 31 अक्टूबर तक की अवधि को शीरा वर्ष कहा जाता है तथा उक्त अवधि के लिए प्रतिवर्ष शीरा नीति निर्धारित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि शीरे के वार्षिक उत्पादन का इस प्रकार उचित प्रबन्धन किया जाए ताकि उससे सस्ती दरों पर देशी मदिरा का मानक के अनुरूप उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही विभिन्न हितधारकों अर्थात चीनी मिलों, खांडसारी विनिर्माणकर्ता इकाइयों, मदिरा उत्पादनकर्ताओं व अन्य उपभोक्ताओं के समग्र हित सुनिश्चित रहें। इससे चीनी मिलों, खांडसारी विनिर्माणकर्ता इकाइयों को उनके द्वारा उत्पादित शीरे में से सुनिश्चित मात्रा के विपणन के अवसर प्राप्त होते हैं और आसवनियों को मदिरा उत्पादन के लिए अधिकृत स्रोत से शीरे की उपलब्धता हो पाती है। फलस्वरूप राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक राजस्व की प्राप्ति होती है जो अन्ततः राज्य सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के संचालन में सहायक सिद्ध होती है।
महत्वपर्ण तथ्य
- देशी मदिरा के लिए 19 प्रतिशत शीरा होगा आरक्षित।
- चीनी मिलों से आरक्षित और अनारक्षित शीरे के मध्य निकासी का अनुपात 1:4.26 होगा।
- बी-हैवी शीरा की देयता सी-हैवी शीरे में 1.3 प्रति क्विंटल होगा।
* बी-हैवी शीरे से 31 ए. एल. अल्कोहल तथा सी-हैवी शीरे से 22.5 ए. एल. अल्कोहल की रिकवरी मानक होगा।
* देशी मदिरा हेतु उत्पादक अगले माह के लिए अपनी मांग चीनी मिलों को माह की 7 तारीख तक प्रस्तुत करेंगें।
आसवनियों की उपरोक्त मांग पर चीनी मिलों को तीन दिन में निर्णय लेना होगा।
* शीरे का उठान अनुमति के बाद 30 दिन में किया जाना अनिवार्य होगा।
- चीनी मिलें संभरण पर विलंब करेंगी तो उन्हें अनारक्षित शीरे पर शीरा नियंत्रक द्वारा आंशिक रोक लगाई जा सकती है।
- आरक्षित शीरा का उठान समय पर न किये जाने पर डिस्टिलरी पर कार्यवाही की जा सकती है।
- समूह की चीनी मिलों को पूर्वांचल की इकाइयों से भी आरक्षित शीरे की आपूर्ति आवश्यक होगी।
- देशी मदिरा उत्पादक आवंटित शीरे के उपभोग के पश्चात ही नये आवंटन हेतु आवेदन करेंगे।
* ईएनए से शीरे की कनवर्जन नीति जारी रहेगी।
* उत्तराखण्ड राज्य को 25 लाख क्विंटल शीरे का निर्यात किया जायेगा।
- समस्त प्रकार के शीरे पर 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से विनियामक शुल्क देय होगा।
- खांडसारी शीरे पर भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से विनियामक शुल्क देय होगा।
- खांडसारी इकाइयों द्वारा शीरे का विक्रय एवं संभरण आबकारी पोर्टल के माध्यम से ही होगा।
- केन जूस से एथेनॉल निर्माण करने पर चीनी मिल स्वयं अथवा समूह की दूसरी इकाई से आरक्षित शीरे की आपूर्ति बी-हैवी शीरा के समतुल्य करना होगा।
- चीनी मिलों में प्रवेश और निकासी द्वार पर एएनपीआर कैमरे और सीसीटीवी लगाये जायेंगे।
- शीरे का परिवहन जीपीएस एवं डिजी लॉक युक्त टैंकर से ही किया जायेगा।
- शीरे के पर्यवेक्षण हेतु सेवानिवृत्त 65 वर्ष आयु तक के 4 कार्मिक को मानदेय पर कंसल्टेंट नियुक्त किया जायेगा