यूपी कोऑपरेटिव शुगर पक्ट्री ज़ फेडरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कुमार विनीत आईएएस ने सीआईआई शुगरटेक इंडिया 2024 में अपने विचार रखते हुए बताया कि 2047 के अमृतकाल के हिस्से के रूप में हमारा ध्यान किसानों के लिए सर्वोत्तम सुविधाओं को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा। प्रदेश सरकार के 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को कृषि और उसमें भी गन्ना के सशक्त विकास से ही प्राप्त किया जा सकता है। प्रौद्योगिकियों को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना होगा। नई प्रौद्योगिकियों को किसानों, वैज्ञानिकों और उद्योग को प्रभावशाली ढंग से अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि टिकाऊ कृषि के लिए और उसमें सार्थक बदलाव हेतु नवाचार का उपयोग किया जाना चाहिए। गन्ने की वैरायटी पर प्रदेश की शोध संस्थाएं काफी काम कर रही हैं। गन्ने से केवल चीनी और शीरे का ही निर्माण नहीं हो रहा है बल्कि उसके बगास से बहुत कुछ निर्माण हो रहा है। बगास से तैयार होने वाले कागज से ही लगभग 10 हजार पेड़ों को सुरक्षित रखा जा सकता है। गचा से एथेनॉल का भी निर्माण कर प्रदूषण नियंत्रण में महत्त्वपूर्ण लाभ लिया जा रहा है।
सीआईआई शुगरटेक 2024 के अध्यक्ष एवं डीसीएम श्रीराम लि. के सीईओ रोशन लाल टामक ने कहा कि शुगरटेक 2024 कृषि संबंधित चुनौतियां से निपटने और स्थायी भविष्य के समाधान हेतु एक गंभीर प्रयास है। चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में न केवल चीनी उत्पादन में बल्कि एथेनॉल और बायोगैस आदि में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उत्तर प्रदेश की राज्य जैव ऊर्जा नीति का उद्देश्य हमारे गन्ना किसानों की क्षमता को बढ़ावा देना है। इससे इस क्षेत्र में विकास और स्थिरता आएगी। नीति निर्माताओं, तकनीकी नवप्रवर्तकों और किसानों को एक साथ लाने का यह एक महत्त्वपूर्ण मंच है। कृषि क्षेत्र में स्थिरता और जलवायु में बदलाव संबंधी परेशानियों से निपटने के लिए हमें प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर देना होगा।
गन्ना खेती के लिए उत्तर प्रदेश का इकोसिस्टम बहुत बेहतरीन है। प्रदेश में गन्ना के विकास हेतु कई शोध संस्थान कार्यरत हैं, जिससे यहाँ गन्ना उत्पादकता के विकास में अभी बहुत अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की इकोसिस्टम का अभी पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है। उत्तर प्रदेश एक बड़ा क्षेत्रफल वाला राज्य है। यहाँ शुगर के अतिरिक्त बायोएनर्जी उत्पादन में काफी संभावनायें हैं। गन्ने की उत्पादकता बढ़ने के साथ ही शुगर और बायोएनर्जी दोनों क्षेत्रों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि गन्ना की खेती का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किसानों को जोडने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में इतनी संभावना है कि यह मिनी ब्राज़ील बन सकता है।
महेंद्रा एंड महेंद्रा के डीजीएम कर्मयोग सिंह ने बताया कि सैटेलाइट के डेटा का अधिक-से-अधिक उपयोग किए जाने की आवश्यकता है। टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर गन्ने की उत्पादकता निश्चित रूप से बढ़ाई जा सकती है। सम्मेलन के दौरान एडिशनल केन कमिश्नर वीके शुक्ला, इस्जेक के डीजीएम दिग्विजय सिंह और ग्रीन पॉवर इंटरनेशनल के सीनियर जीएम विपिन मल्होत्रा आदि प्रतिष्ठित लोगों ने भी अपने विचार साझा किए।
सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण विषय
सीआईआई शुगरटेक इंडिया के 10वें संस्करण में विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने अनुभव और विचार साझा किये, जिसमें नीति-निर्माताओं, इंडस्ट्री लीडर्स, किसान और प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों के बीच सहयोग और सामंजस्य पर जोर दिया गया। चीनी क्षेत्र की जैव ऊर्जा क्षमता को अनलॉक करना, उन्नत एग्रीटेक से गन्ने की खेती को अनुकूलित करना, गन्ना व कृषि का दीर्घकालिक विकास और इस क्षेत्र में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए विविधीकरण आदि विषयों को भी शामिल किया गया था।
चीनी मिलों को बनाना होगा सशक्त
चीनी मिलें अपनी योजनाओं के लिए अधिकतर सरकार की नीतियों पर निर्भर रहती हैं। सरकार की एक्सपोर्ट पॉलिसी तथा एथेनॉल मूल्य निर्धारिण नीति आदि के बाद ही चीनी मिलें अपनी आर्थिक योजनाओं को बनाती हैं। मवाना के एमडी आर. के. गंगवार ने बताया कि चीनी मिलों को सशक्त बनाना होगा, जिससे चीनी मिलें किसानों को समय से गन्ना मूल्य भुगतान कर सकें। चीनी मिलों की समृद्धि से ही देश और किसान का विकास होगा।
बायोमास होगा ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत
हरित ऊर्जा के लिए बायोमास और गन्ना जैसे संसाधनों की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए। आने वाले समय में पेट्रोलियम पदार्थों के स्रोत समाप्त हो सकते हैं। स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक वर्मा ने बताया कि इस समय यह प्रश्न उठाए जाते हैं कि क्या गन्ना पेट्रोलियम पदार्थ का विकल्प बन सकता है। गन्ना एक ऐसा उत्पाद है जिसका मुख्य उपोत्पाद चीनी वर्तमान में महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता सामग्री है। चीनी उत्पादन के बाद उसके दूसरे उपोत्पाद से भी जलाकर ऊर्जा और बिजली प्राप्त किया जाता है। पेट्रोल का उत्पादन तो नहीं किया जा सकता है लेकिन उसका विकल्प जरूर तैयार कर सकते हैं। शुगर में जो एनर्जी है उससे कहीं ज्यादा एनर्जी उसके दूसरे उपोत्पादों में है। जो जलाया जाता और उससे स्ट्रीम और पावर बन रहा है। आने वाले दिनों में बायोमास बहुत कीमती है। यह ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है।
गन्ना विकास से बढ़ेगी किसानों की आमदनी
भारत में दुनिया का दूसरा सबसे अधिक कृषि संबंधी उद्योग है। गन्ना विकास की बात जब की जाती है तो इसे केवल गन्ना का उत्पादन बढ़ाने तक ही सीमित नहीं रखा जाता है बल्कि इसे किसानों की आमदनी में वृद्धि से भी जोड़ा जाता है। त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज़ के सीईओ समीर सिन्हा ने कहा कि इस समय गन्ना उत्पादन की वृद्धि के साथ ही उसके स्वास्थ्य संबंधी चिताओं पर भी फोकस किया जाता है। पिछले 4-5 सालों से पॉल्यूशन कम करने के लिए एथेनॉल मिक्सिंग पर जोर दिया जा रहा है।
संतुलित उर्वरक होगा भविष्य के कृषि की कुंजी
गन्ने की उत्पादकता में वृद्धि लाना आवश्यक है। इसके लिए स्वस्थ बीज और सही उर्वरक महत्त्वपूर्ण घटक हैं। धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के ऑनरेरी चेयरमैन डॉ. आर. जी. अग्रवाल ने बताया कि गन्ना की खेती में एक
किसान जहाँ 2800 क्विंटल/हेक्टेयर का उत्पादन ले रहा है, वहीं कुछ किसान 500 क्विंटल/हेक्टेयर तक ही गन्ने का उत्पादन ले पा रहे हैं। इस असंतुलन को सही उर्वरक और अच्छी नर्सरी के बीज उपलब्ध कराकर दूर किया जा सकता है। किसानों के बीच उन्नत टेक्नोलॉजी ले जाकर हमें इस असंतुलन को दूर करना होगा। संतुलित उर्वरक हमारे कृषि और खाद्य के भविष्य की कुंजी है।
सीआईआई एग्रोटेक इंडिया कृषि भारत 2024 के बारे में
सीआईआई एग्रोटेक इंडिया कृषि भारत 2024 कृषि प्रगति को प्रदर्शित करने, नवाचार और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत का प्रमुख मंच है। यह आयोजन एक लचीले और भविष्य के लिए तैयार कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप साझेदारी और निवेश की सुविधा प्रदान करता है।