श्याम मिश्राा | हनुमानगढ़/टिब्बी केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास से टिब्बी के राठीखेड़ा में एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्ट्री लगाई जा रही है। इस फैक्ट्री में हर दिन 13.20 लाख लीटर एथेनॉल तैयार होगा। इससे आस-पास के एक हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन इस फैक्ट्री को लेकर ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
पिछले तीन माह से अधिक समय से ग्रामीण महिला और पुरुष धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री शुरू होने से क्षेत्र में जल व वायु प्रदूषण बढ़ जाएगा और तरह-तरह की बीमारियां फैलेंगी। दूसरी तरफ, टिब्बी के पूर्व सरपंच विशाल सिंह भाटी का कहना है कि अगर राठीखेड़ा में फैक्ट्री लगती है तो क्षेत्र में खुशहाली आएगी। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और किसानों को भी लाभ होगा। हालांकि कलेक्टर भी अपने स्तर पर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन का दावा है कि 450 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक एथेनॉल प्लांट तैयार किया जा रहा है। फैक्ट्री से बाहर पानी निकलेगा ही नहीं, जल प्रदूषण की बात ही नहीं है। जहां वायु प्रदूषण की बात है तो चिमनियों में आधुनिक फिल्टर लगाए जाएंगे। इससे राख ऊपर जाएगी ही नहीं। प्रशासन इसकी समय-समय पर जांच भी करेगा। इसके शुरू होने के बाद एशिया में एथेनॉल का सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं पर होगा। यही नहीं आस-पास के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। कुछ लोग ग्रामीणों में भ्रम फैला रहे हैं, जबकि सरकार से नियमानुसार सभी विभागों से एनओसी लेने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया गया था। बावजूद इसके इसका विरोध हो रहा है। 1. आयात कम होगा, विदेश नहीं जाएंगे करोड़ों रुपए : भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। सालाना करीब 8 से 9 लाख करोड़ रुपए का कच्चा तेल भारत आयात करता है। जानकारों की मानें तो देश में पेट्रोल के वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उस हिसाब से 4 से 5 साल में यह आयात दोगुना हो जाएगा और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। 2. फसलों का उत्पादन बढ़ने से किसानों की आय अच्छी होगी: एथेनॉल के ज्यादा इस्तेमाल से घरेलू कृषि क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। खासकर युवा कृषि क्षेत्र की ओर बढ़ेंगे। एक्सपर्ट का मानना है कि इथेनॉल प्लांट बनने से किसान इसके निर्माण में सहायक फसलों की ज्यादा बुवाई करेंगे।
किसानों को एग्री वेस्ट की बिक्री से कमाई का नया जरिया मिलेगा, जिससे उनकी आय भी सुधरेगी। 3. प्रदूषण कम होगा, पर्यावरण सुधरेगा : पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से गाड़ियां कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड व हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन कम करती है। इन तीनों की वजह से ही सर्वाधिक प्रदूषण फैलता है। प्रदूषण रुकेगा तो पर्यावरण सुधरेगा, जिससे ग्लोबल वार्मिंग भी कम होगी। पर्यावरण सुधरने से आम आदमी को बीमारियां कम होंगी और वह स्वस्थ भी रहेगा। 4. अत्याधुनिक होगा प्लांट, पानी नहीं, यह हवा से ठंडा होगा, बिजली उत्पादन भी करेगा : प्लांट को ठंडा रखने के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं होगा। एथेनॉल बनाने के लिए प्रतिवर्ष 9.7650 लाख टन चावल की खपत होगी। इसका हाईप्रेशर बॉयलर प्लांट चलाने के लिए 24.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी करेगा। इसे चलाने के लिए प्रतिदिन 1500 टन सरसों ग्वार का गूणा, कपास की बनछटी, मूंगफली छिलका व धान की पराली की खपत होगी। (जैसा कि एक्सपर्ट जेपी शर्मा ने भास्कर को बताया) कलेक्टर बोले: नियमानुसार अनुमति दी है: यह औद्योगिक इकाई राज्य सरकार स्तर पर हुए एमओयू के आधार पर ही लगाई जा रही है। इकाई को लेकर भ्रमित नहीं हो। इसके लिए सभी प्रकार की अनुमतियां/ एनओसी पूर्ण पारदर्शिता से जारी की गई हैं। स्थानीय निवासियों को इकाई गतिविधियों की जानकारी देने और भ्रम की स्थिति से दूर करने के लिए कई बार प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीणों को समझाया जा रहा है कि इसके शुरू होने से टिब्बी क्षेत्र का काफी विकास होगा और बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा। यही नहीं यहां पर पराली जलाने की जो सबसे बड़ी समस्या है, उससे भी किसानों को राहत मिलेगी और उन्हें आय भी होगी। कानाराम, कलेक्टर, हनुमानगढ़. एथेनॉल इको-फ्रेंडली फ्यूल है। यह एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार ने अभी गन्ना-चावल व मक्का से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी है। इन्हें प्रोसेस करके एथेनॉल बनाया जाता है। अभी पेट्रोल में यह मिक्स होगा। इसके अनुसार वाहन निर्माता कंपनियां इंजन में कई बदलाव कर रही है। ब्राजील, कनाडा, स्वीडन में ज्यादा इस्तेमाल ब्राजील में अभी 40 फीसदी गाड़ियां 100 फीसदी एथेनॉल से चल रही है। कनाडा, अमेरिका व स्वीडन भी एथेनॉल की गाड़ियां चला रहे हैं। भारत में अभी पेट्रोल में 8 से 10 फीसदी एथेनॉल मिक्स हो रहा है। सरकार ने 2025 तक यह मात्रा बढ़ाकर 20 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। एक लीटर पेट्रोल की लागत 15 से 20 रु. लीटर घटेगी, एथेनॉल का आम आदमी को बड़ा फायदा यह होगा कि उसकी बचत बढ़ेगी। अभी कच्चे तेल का आयात करके जीएसटी, वैट, परिवहन शुल्क मिला पंप तक पहुंचाने में इसकी लागत 100 रुपए से भी ज्यादा आती है। एथेनॉल वाले पेट्रोल की लागत 75 से 80 रुपए प्रति लीटर आएगी।