सहारनपुर :- कम लागत और बढि़या उत्पादन के चलते किसानों को गन्ने की शरदकालीन बुवाई भा रही है। जिले में जहां गत वर्ष 9328 हेक्टेयर शरदकालीन बुवाई हुई थी वह इस बार बढ़कर 10143 हेक्टेयर हो गई है। जो गत वर्ष से 815 हेक्टेयर अधिक है। अतिरिक्त आय के लिए किसान शरदकालीन गन्ने में विभिन्न प्रकार की सहफसली भी करते हैं।
जनपद में गन्ने की शरदकालीन गन्ने का रकबा लगातार बढ़ रहा है। इस बार जिले में 10143 हेक्टेयर क्षेत्रफल में शरदकालीन गन्ने की बुवाई हुई है, जबकि गत वर्ष 9328 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। जनपद के अधिकांश किसान अतिरिक्त आय के लिए गन्ने की शरदकालीन बुवाई ट्रेंच विधि से करने के साथ ही उसमें सहफसली भी करते हैं। सहफसली गन्ने की दो लाइनों के बीच में की जाती है। सहफसली के तौर पर किसान गेहूं, सरसों, आलू, सरसों, पत्ता गोभी, टमाटर, मसूर, लहसुन आदि को अधिक पसंद कर रहे हैं।
पांच वर्षों में शरदकालीन गन्ने का रकबा-वर्ष रकबा हेक्टेयर में –
{2019-20 5261} {2020-21 5478} {2021-22 5678} {2022-23 9328}
{2023-24 10143}
गन्ना विभाग के अनुसार-शरदकालीन गन्ने की खेती के लाभ
– फसल की लागत कम और उत्पादन अधिक
– गन्ने की साथ विभिन्न सहफसली खेती
– सहफसली से अतिरिक्त आय
– उत्पादन करीब डेढ़ गुना अधिक
– गन्ने से चीनी परता अधिक
वर्जन –
जिले के किसानों में शरदकालीन गन्ने की खेती के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है। शरदकालीन खेती में किसानों को सहफसली खेती से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है। जिससे उनकी गन्ने की लागत भी निकल जाती है। इस बार जिले में 10143 हेक्टेयर क्षेत्रफल में शरदकालीन गन्ना बुवाई हुई है, जबकि गत वर्ष यह रकबा 9328 हेक्टेयर था।