मीठी ज्वार (Sweet Sorghum) की खेती किसान खूब करते हैं. इसके सिरप से गुड़ बनाया जाता है. मीठी ज्वार के रस में इतनी शर्करा मौजूद होती है कि प्रति एकड़ 400-600 गैलन इथेनॉल बनाया जा सकता है. किसान रबी सीजन में मीठी ज्वार की खेती की तैयारियों में जुटे हैं. इसके इस्तेमाल से इथेनॉल बनाने और इथेनॉल की कीमत तय नहीं हो पाने के चलते मिल कंपनियों किसानों को खेती के लिए प्रेरित नहीं कर पा रही हैं. कहा जा रहा है कि सरकार इस पर फैसला ले सकती है. क्योंकि, रबी सीजन के लिए जनवरी से पहले इसकी बुवाई होनी है.
इथेनॉल बनाने के लिए गन्ना, मक्का, मीठी ज्वार समेत अन्य फसलों के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है. गन्ने के रस से बनने वाले इथेनॉल का खरीद मूल्य 65.61 प्रति लीटर है. बी-हेवी गुड़ से बनने वाले इथेनॉल का खरीद मूल्य 60.73 रुपये प्रति लीटर था. इसी तरह सी-हेवी गुड़ से बनने वाले इथेनॉल की कीमत 56.28 प्रति लीटर तय की गई थी. लेकिन, मीठी ज्वार के किसानों को इथेनॉल की अलग कीमत पर सरकार की घोषणा का इंतजार है. जैव ईंधन के लिए मीठी ज्वार की फसल का परीक्षण अटका हुआ है, क्योंकि इसके इथेनॉल की कीमत पर निर्णय अभी तक नहीं हो सका है.
क्या है परेशानी
निजी डिस्टलरीज और मिल्स को मीठी ज्वार के इस्तेमाल से इथेनॉल बनाने की मंजूरी मिली है. इसीलिए यह मिलें किसानों को मीठी ज्वार की खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं. लेकिन कीमतों का खुलासा नहीं होने से प्रक्रिया धीमी पड़ी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2024 में कृषि मंत्रालय को लगभग 23.5 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के लिए निजी बीज कंपनी एडवांटा एंटरप्राइजेज की ओर से पेश प्रोजेक्ट को अभी तक मंजूरी नहीं मिल सकी है. क्योंकि सरकार को इथेनॉल की कीमत सहित कुछ राज्यों के साथ मुद्दों को सुलझाना है.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराएंगी 8 मिलें
एडवांटा ने अपने प्रस्ताव में 2,709 एकड़ में कॉन्ट्रैक्ट खेती के जरिए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए 8 चीनी मिलों में महाराष्ट्र की 4, उत्तर प्रदेश की 2 और कर्नाटक और ओडिशा की 1-1 को सहमति मिल गई है. कुछ मिलों को जनवरी में 278 एकड़ में फसल लगाने के लिए किसानों को मनाने में मदद मिल सकती है. रिपोर्ट के अनुसार सहमति पत्र में कहा गया है कि वह केवल एक एकड़ में परीक्षण करेगी.
कितना दाम होना चाहिए
अगर सरकार जल्दी फैसला करती है तो कुछ मिलों को किसानों को जनवरी में फसल बोने के लिए राजी करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि किसी भी जैव ईंधन प्रोजेक्ट की सफलता के लिए बुवाई की समयसीमा का पूरा होना बहुत अहम है. श्रीनाथ म्हसकोबा साखर कारखाना और खंडोबा डिस्टिलरीज जैसी कुछ मिलों की ओर से कहा गया है कि जब तक लागत पर सही स्टडी नहीं हो जाती है तब तक सरकार को मीठी ज्वार से बनने वाले इथेनॉल के लिए 65.50 रुपये प्रति लीटर का संभावित खरीद मूल्य घोषित करना चाहिए. बता दें कि सरकार ने अभी तक चालू इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) के लिए इथेनॉल की दरें तय नहीं की हैं. हालांकि, यह उम्मीद जताई जा रही है सरकार जल्द ही इसकी घोषणा कर सकती है.