साल 1930 में सिंभावली में स्थापित शुगर मिल पर पिछले 15 साल से संकट हैं। 2017 ईडी तथा कोर्ट में डिफाल्टर जैसे नियमों में फंसती आ रही है। केंद्र सरकार तक 56 सौ किसानों के नाम पर निकाल लिए गए ऋण से लेकर सात बैंकों से लिए गए ऋण का मामला ऑरियंटल, पंजाब और एसबीआई बैंक द्वारा दायर रिटों में मिल के स्वामित्व पर भी संकट आ गया है। बैंक द्वारा ऋण अदा न करने पर 2017 में दिल्ली की ऑरियंटल बैंक शाखा ने सीबीआई में मामला दर्ज कराया था जबकि एनसीएलटी कोर्ट ने दिवालिया घोषित कर दी थी। जिसके बाद जुलाई 2022 में एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक ने लखनऊ एनसीएलटी में डिफाल्टर के लिए वाद दायर किया था। जिसके खिलाफ सिंभावली शुगर मिल हाईकोर्ट की शरण पहुंच गई थी। हाईकोर्ट ने शुगर मिल की याचिका निरस्त करते हुए बैंकों द्वारा बार-बार मिल को लगभग 1300 करोड़ का ऋण देने के मामले में धोखाधड़ी की जांच सीबीआई से कराने के आदेश कर दिए थे। सिंभावली शुगर मिल हाईकोर्ट में याचिका निरस्त होने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सीबीआई से तो राहत मिल गई परंतु 11 जुलाई को आए एनसीएलटी कोर्ट के फैसले से इस बार मामला स्वामित्व तक पहुंच गया है।
आज भी सिस्टम में चल रहा बैंकों से लिया ऋण-मिल
सिंभावली शुगर मिल के प्रशासक प्रबंधक दिनेश शर्मा ने बताया कि मिल ने जो पैसा लोन पर लिया था वह आज भी मिल के सिस्टम में है। लोन का पैसा कही अन्य स्थान पर नहीं लगाया गया है। उन्होंने बताया पहले किसानों के नाम पर लोन लेने का मामला सीबीआई ने दर्ज किया था। जिसकी जांच चल रही है। परंतु बैंकों से जो मिल ने ऋण लिया है वह किसानों के हित में ही लगाया गया है।